बिलासपुर 10 अप्रैल 2025।बिलासपुर शहर से लगे आउटर गांवों में जमीन दलालों ने अवैध प्लाटिंग का जाल बिछा दिया है।सरकंडा के मोपका क्षेत्र में यह धंधा खुलेआम चल रहा है। सस्ते दाम और भविष्य में रेट बढ़ने का सपना दिखाकर दलाल खेती की जमीन को छोटे-छोटे टुकड़ों में बेच रहे हैं, वह भी बिना किसी ले-आउट स्वीकृति के बिना बेची जा रही है ज़मीन...
राजस्व विभाग के मैदानी अमले की मिलीभगत से यह अवैध कारोबार बेखौफ होकर फल-फूल रहा है। दलाल नक्शा और सड़क-नाली का झांसा देकर प्लॉट बेचते हैं। नियमों की जानकारी न होने से लोग प्लॉट की रजिस्ट्री करा लेते हैं, लेकिन बाद में डायवर्सन और नामांतरण जैसे कामों के लिए दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते हैं।
पटवारियों की भूमिका संदिग्ध
पटवारी, आरआई और तहसीलदार की भूमिका इन सौदों में अनिवार्य है, लेकिन फिर भी अवैध प्लाटिंग पर रोक नहीं लग रही। दस्तावेज पटवारी कार्यालय से जारी किए जा रहे हैं और नामांतरण के लिए भी पैसे वसूले जा रहे हैं। कई बार सिर्फ खानापूर्ति कर विभाग ने कार्रवाई की फाइलें बंद कर दीं।
तालाब पर भी कब्जा
मोपका की विवेकानंद कॉलोनी में एक रसूखदार जमीन कारोबारी ने तालाब को घेरकर प्लॉट काट दिए हैं। मवेशियों को पानी तक नहीं मिल पा रहा, लेकिन राजस्व विभाग और निगम दोनों चुप हैं। शिकायतों के बावजूद न तो रजिस्ट्री रोकी गई, न नामांतरण।
जिम्मेदारी तय नहीं, कार्रवाई नदारद
ग्रामीण क्षेत्र में कार्रवाई की जिम्मेदारी राजस्व विभाग की है, जबकि शहरी क्षेत्र में नगरीय निकाय जिम्मेदार है। लेकिन दोनों विभाग एक-दूसरे पर टालते रहते हैं। जब तक निर्माण शुरू नहीं होता, तब तक अधिकारी आंख मूंदे रहते हैं।
ज़रूरत है सख्त कार्रवाई की
अगर विभागीय अधिकारी अपनी भूमिका निभाएं और पटवारियों पर सख्त कार्रवाई हो, तो इस अवैध प्लाटिंग पर लगाम लगाई जा सकती है। फिलहाल, हालात यह हैं कि जमीन दलालों के आगे पूरा तंत्र बेबस नजर आ रहा है।
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