बिलासपुर 04 अप्रैल 2025।बिलासपुर शहर के मोपका क्षेत्र स्थित विवेकानंद कॉलोनी के पास इन दिनों बड़े पैमाने पर अवैध प्लाटिंग का खेल बेधड़क जारी है। सूत्रों के अनुसार यह पूरा मामला राजस्व अमले की मिलीभगत से संचालित हो रहा है। क्षेत्र में बिना किसी अधिकृत अनुमति के प्लॉट काटे जा रहे हैं और उन्हें खुलेआम बेचा जा रहा है। हैरानी की बात यह है कि नगर निगम ने पहले कुछ प्लाटर्स को नोटिस तो जारी किए थे, लेकिन उसके बाद न तो कार्रवाई हुई और न ही कोई निगरानी। अब यह स्थिति है कि अवैध प्लाटिंग पर अंकुश लगाने की बजाय जिम्मेदार विभागों ने आंखें मूंद ली हैं।
स्थानीय लोगों और प्रॉपर्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि यह अवैध कारोबार कई महीनों से चल रहा है। बिचौलिए लोगों को कम दाम में जमीन मिलने का लालच देकर उन्हें इन अवैध प्लॉटों में निवेश करने को मजबूर कर रहे हैं। कई लोग अपनी जिंदगी भर की जमा पूंजी लगाकर ऐसे प्लॉट खरीद रहे हैं, जिन्हें न तो कोई वैध अनुमति प्राप्त है और न ही भविष्य में मूलभूत सुविधाएं मिलने की गारंटी।
खास बात यह है कि इन क्षेत्रों में न सड़क, न पानी और न ही सीवरेज की कोई व्यवस्था है। बावजूद इसके, लोगों को यह कहकर गुमराह किया जा रहा है कि विकास कार्य जल्द ही शुरू हो जाएंगे और जमीन की कीमतें बढ़ेंगी। जब खरीदार कब्जा लेने के बाद बुनियादी सुविधाओं के लिए नगर निगम या अन्य सरकारी विभागों के चक्कर लगाते हैं, तब जाकर उन्हें इस अवैध खेल की सच्चाई पता चलती है।
इस पूरे मामले में राजस्व विभाग की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। क्षेत्र में बिना ले-आउट स्वीकृति के हो रही प्लाटिंग को देखकर स्पष्ट है कि कहीं न कहीं जिम्मेदार अधिकारियों की मिलीभगत है। आमतौर पर किसी भी भूमि का टुकड़ा कर प्लॉट में तब्दील करने के लिए प्रशासनिक अनुमति अनिवार्य होती है, लेकिन इस मामले में न तो कोई निरीक्षण हो रहा है और न ही दस्तावेजों की जांच।
इस खेल में नगर निगम की निष्क्रियता भी साफ नजर आती है। कुछ महीने पहले निगम की ओर से अवैध प्लाटिंग करने वालों को नोटिस जारी किए गए थे, लेकिन उसके बाद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। नतीजतन, प्लाटिंग का सिलसिला रुकने की बजाय और तेज हो गया।
जानकारों का कहना है कि इससे न केवल आम लोग ठगे जा रहे हैं, बल्कि शासन को भी भारी राजस्व नुकसान उठाना पड़ रहा है। वैध प्लाटिंग से मिलने वाला विकास शुल्क, अनुमतियों का शुल्क और अन्य टैक्स शासन को नहीं मिल पा रहे हैं। साथ ही, भविष्य में यह जमीनें कानूनी विवादों का कारण भी बन सकती हैं, जिससे प्रशासन पर अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा।
स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने इस पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि अगर जल्द ही इस पर नियंत्रण नहीं पाया गया, तो आने वाले समय में यह क्षेत्र एक बड़ी अव्यवस्थित बस्ती में तब्दील हो जाएगा, जहां मूलभूत सुविधाओं का अभाव और कानूनी उलझनें लोगों की परेशानियों को और बढ़ाएंगी।
जल्द ही दस्तावेज के साथ होगा पर्दाफाश
सूत्रों की माने तो मोपका क्षेत्र में अवैध प्लाटिंग का खेल सरकारी कर्मचारी के द्वारा किया जा रहा है,जो अवैध प्लाटिंग के कारोबार से जुड़ा हैं। इसमें राजस्व विभाग के अधिकारियों की लापरवाही भी शामिल है। इस पूरे मामले का जल्द ही दस्तावेज के साथ पर्दाफाश किया जाएगा। साथ ही जिन अधिकारियों की इस पूरे मामले में भूमिका है उनकी भी कलई खुलेगी।
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