ज्ञात हो की लगभग 23 साल पहले निगम नजूल और कलेक्ट्रेट नजूल द्वारा जीवन यापन के लिए लीज पर जरूरतमंदों को दुकानों काआबंटन किया गया था। कुछ साल बीतने के बाद लोगों को पता चला की जो दुकान उनको अलॉट हुई है वह उनकी नहीं बल्कि निगम के ही अधिकारीयों के नाते रिश्तेदारों के नाम और उनके नाम पर अलॉट है।
शासन को करोड़ों रुपयों का नुकसान पहुंचाने वाले इन अधिकारियों से यदि नगरीय निकाय के मंत्री या स्वयं मुख्यमंत्री पूछ लें की अब तक कितने रुपयों की प्राप्ति इन दुकान प्रदाय लोगों से हुई है। जवाब में उनके पास कोई उत्तर नहीं होगा।
पूरे बिलासपुर निगम क्षेत्र की इन दुकानों और गुमटियों की जानकारी से ही घालमेल समझ में आ जायेगा।
छत्तीसगढ़ शासन को करोड़ों रुपयों की क्षति पहुंचाने के जिम्मेदारों से पूछा जाएं की इन्ही दुकानों, गुमटियों से कितने राजस्व की प्राप्ति हुई। चाहे वह प्रताप चौक, देवक्कीनंदन चौक, नूतन चौक, दयालबंद, उसलापुर, अशोकनगर, इत्यादि अनेक क्षेत्र है जहां से ये अब तक राजस्व की प्राप्ति नहीं कर पाए। एक भी जगह से ये न किराया वसूल पाए न पिछला बकाया।
यदि नगरीय निकाय मंत्री इस संबंध में गहराई से जांच कराते है तो कई मामलों का खुलासा होगा, और कई अधिकारी निलंबित भी होंगे। इस संबंध में मुख्यमंत्री स्वत संज्ञान लेकर जांच करावे तो जनहित में होगा।
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