सोचनीय है कि ये पुतले और दीवारों पर किए गए रंग रोगन से सजे किरदार कब तक रहेंगे ? या कुछ महीनो में देखरेख के अभाव में दम तोड देंगे।
बताना जरूरी है कि यही पैसा गरीबों एवम अशहायो के लिए खर्च किए जाते तो गरीब जनता की तकदीर बदल जाती।
पर्यावरण को भी बचाने की दिशा में हम कदम बढ़ा लेते तो और अच्छा हो जाता। बुद्धिवीरों को इस पर संज्ञान लेकर उचित कार्य करने की अपेक्षा जनता रखती है।
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