बिलासपुर 15 जुलाई 2025।बिलासपुर जिले में पत्रकारों के खिलाफ लगातार हो रही प्राथमिकी (FIR) दर्ज की घटनाओं ने मीडिया जगत में हलचल मचा दी है। बीते एक महीने में आठ से अधिक पत्रकारों के खिलाफ अलग-अलग मामलों में भयादोहन (extortion) जैसे संगीन आरोपों के तहत एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं। इन घटनाओं ने न केवल पत्रकारों के बीच असंतोष और आक्रोश को जन्म दिया है, बल्कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और निष्पक्ष पत्रकारिता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
पत्रकारों ने जताई गहरी नाराजगी, प्रेस क्लब ने किया मोर्चा संभाल
मंगलवार को बिलासपुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष इरशाद अली के नेतृत्व में बड़ी संख्या में पत्रकार एकजुट होकर एसपी कार्यालय पहुंचे। क्लब की कार्यकारिणी और शहर के वरिष्ठ पत्रकारों ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए नाराजगी जताई और एसपी रजनीश सिंह को ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन में प्रमुख रूप से यह मांग की गई कि—
पत्रकारों के विरुद्ध प्राप्त शिकायतों की पहले निष्पक्ष और विस्तृत जांच हो,
पर्याप्त सबूत, तथ्यों और साक्ष्यों के अभाव में कोई भी एफआईआर दर्ज न की जाए,
और सबसे महत्वपूर्ण, जांच पूरी होने से पहले किसी भी पत्रकार की गिरफ्तारी न हो।
बिना जांच एफआईआर पर जताई चिंता
प्रेस क्लब का कहना है कि हाल ही में जिस तेजी से एफआईआर दर्ज की जा रही है, उससे ऐसा प्रतीत होता है कि पुलिस की कार्यवाही में निष्पक्षता की बजाय किसी पूर्वग्रह या दबाव में कार्रवाई की जा रही है। पत्रकारों का आरोप है कि कुछ शिकायतकर्ता अपने दोषों और अनियमितताओं को छुपाने के लिए पुलिस का इस्तेमाल कर रहे हैं और असुविधाजनक सवाल पूछने वाले पत्रकारों पर प्रताड़ना का हथकंडा अपनाया जा रहा है।
एसपी रजनीश सिंह ने दी सफाई, कहा — ‘बिना जांच गिरफ्तारी नहीं होगी’
पत्रकार प्रतिनिधिमंडल से चर्चा करते हुए एसपी रजनीश सिंह ने कहा कि पुलिस किसी पत्रकार के खिलाफ बिना पर्याप्त सबूत के एफआईआर दर्ज नहीं कर रही है। उन्होंने बताया कि जो मामले दर्ज हुए हैं, उनमें शिकायतकर्ताओं ने ठोस सबूत प्रस्तुत किए हैं, जैसे – फोन कॉल रिकॉर्डिंग, धमकी भरे संदेश और गवाह।
उन्होंने ललिता कुमारी बनाम राज्य (2014) के सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि संज्ञेय अपराधों (Cognizable Offences) में पुलिस को तुरंत मामला दर्ज कर प्रारंभिक जांच करनी होती है।
राशन दुकानदारों की ओर से प्रस्तुत सबूतों का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि कुछ मामलों में पत्रकारों द्वारा शिकायत पर जाने से रोकने के लिए “देख लेने” जैसी धमकियां दी गई थीं। इन परिस्थितियों में पुलिस कार्रवाई बाध्यकारी हो जाती है।
भरोसा दिलाया – ‘नहीं होगी बेवजह गिरफ्तारी’
एसपी ने प्रेस क्लब के पदाधिकारियों को आश्वस्त किया कि—
किसी पत्रकार की गिरफ्तारी बिना गहन जांच और पुष्ट प्रमाण के नहीं होगी।
किसी भी पत्रकार को बेवजह परेशान नहीं किया जाएगा, और
संबंधित थाना प्रभारियों को इस विषय में सावधानीपूर्वक और निष्पक्ष जांच के निर्देश दिए जा चुके हैं।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अगर पत्रकार दोषी नहीं हैं, तो उन्हें भयभीत होने की कोई जरूरत नहीं है।
कौन-कौन रहे प्रतिनिधिमंडल में शामिल
प्रेस क्लब के इस प्रतिनिधिमंडल में अध्यक्ष इरशाद अली के साथ सह सचिव दिलीप जगवानी, महेश तिवारी, अखलाख खान, मनीष शर्मा, लोकेश वाघमारे,नीरज शुक्ला ,छवि कश्यप, अमन पांडेय, पृथ्वी दुबे (पिंटू), राकेश मिश्रा, रवि शुक्ला,संतोष मिश्रा, साखन दर्वे, तीरथ राम लहरे, जितेंद्र थवाइत, सत्येंद्र वर्मा, श्याम पाठक, जिया खान, जेपी अग्रवाल, रोशन वैद्य, नरेंद्र सिंह ठाकुर, गोलू कश्यप, अमित पाटले, कैलाश यादव, घनश्याम गंधर्व सहित अन्य पत्रकार साथी मौजूद रहे है।
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