Ticker

6/recent/ticker-posts

Header Ads Widget

Responsive Advertisement

संजीवनी इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी में हनुमान जी की प्राण प्रतिष्ठा: आस्था, संस्कृति और सेवा का संगम...


बिलासपुर 16 जून 2025।बिलासपुर, गनियारी संजीवनी इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी, जो अब तक चिकित्सा और फार्मेसी के क्षेत्र में अपनी पहचान बना चुका है, अब आध्यात्मिक चेतना और सांस्कृतिक मूल्यों के संवाहक के रूप में भी अपनी भूमिका निभाने को तैयार है। बीते रविवार संस्थान में श्री हनुमान जी की भव्य प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा विधिवत वैदिक मंत्रोच्चार और पूजन-अर्चन के साथ सम्पन्न हुई, जो न केवल धार्मिक आयोजन था, बल्कि यह संस्था की नई आध्यात्मिक दिशा का उद्घोष भी बना।

कार्यक्रम की शुरुआत सुबह वैदिक ब्राह्मणों द्वारा गणपति पूजन और मंगलाचरण से हुई। इसके बाद हनुमान जी की प्रतिष्ठा हेतु शुद्धि-संस्कार, न्यास, ध्यान और प्राण प्रतिष्ठा की विधियां संपन्न हुईं। श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बन रहा था—पुष्पवर्षा, शंखध्वनि और जयकारों से पूरा वातावरण गूंज उठा।इस मौके पर केंद्रीय राज्य मंत्री टोकन साहू और बेलतरा विधायक सुशांत शुक्ला ने विशेष रूप से शिरकत की। अपने उद्बोधन में उन्होंने संजीवनी संस्थान की इस पहल को "धार्मिक पुनर्जागरण और सांस्कृतिक चेतना की दिशा में एक सराहनीय प्रयास" बताया।संस्थान के संस्थापक राकेश तिवारी और प्रमुख प्रेरक ऋषि केसरी इस आयोजन के सूत्रधार रहे। दोनों ने न केवल इस आयोजन की संकल्पना की, बल्कि संपूर्ण आयोजन के हर चरण में सक्रिय भूमिका निभाई।
इनका मानना है कि –“संजीवनी बूटी जिस तरह से जीवन की रक्षा करती है, उसी तरह हमारा उद्देश्य है कि संस्थान भी जनमानस को स्वास्थ्य, शिक्षा और सेवा की संजीवनी प्रदान करे।”उनकी यह सोच न केवल चिकित्सा सेवा को आध्यात्मिकता से जोड़ती है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए संस्था को एक मूल्यनिष्ठ धरोहर में परिवर्तित करने की दिशा में बड़ा कदम है।

स्थापित की गई हनुमान प्रतिमा न केवल संस्थान के भौतिक ढांचे को एक आध्यात्मिक आयाम देती है, बल्कि यह मंदिर अब संजीवनी संस्थान का आध्यात्मिक हृदय बन जाएगा। यहां होने वाले आरती, सत्संग, योग, और नैतिक शिक्षा के सत्र आने वाली पीढ़ियों को जीवन के वास्तविक अर्थ से जोड़ने का कार्य करेंगे।
पूरे आयोजन में सैकड़ों की संख्या में छात्र-छात्राएं, शिक्षकों, कर्मचारियों और स्थानीय श्रद्धालुओं की मौजूदगी ने यह साबित कर दिया कि यह आयोजन केवल संस्थान तक सीमित नहीं, बल्कि जनभावना से जुड़ा एक सामूहिक उत्सव बन गया। इस आयोजन के माध्यम से संजीवनी इंस्टीट्यूट ने शिक्षा, सेवा और श्रद्धा की त्रिवेणी अवधारणा को मूर्त रूप दे दिया है। यह केवल एक मूर्ति स्थापना नहीं, बल्कि एक नई सोच की प्रतिष्ठा है — जहां ज्ञान के साथ आत्मा का भी पोषण हो।

Post a Comment

0 Comments