बिलासपुर 05 फरवरी 2024।बिलासपुर बहुजन समाज पार्टी के जिला अध्यक्ष हेमचंद मिरी और सीपत क्षेत्र के पूर्व विधायक इंजीनियर रामेश्वर खरे ने बुधवार को बिलासपुर प्रेस क्लब में पत्रकारों से चर्चा करते हुए अपनी बात रखी। उन्होंने राज्य शासन के निर्णय और कार्यशैली पर गहरी नाराजगी जताई।उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य में चल रही स्थानीय नगरीय निकाय एवं त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की प्रक्रिया मे शासन के द्वारा एक ओर तो छत्तीसगढ मे निवासरत् बहुसंख्यक समुदाय पिछड़ा वर्ग 52 प्रतिशत वालो के आरक्षण में भयंकर हकमारी करते हुए संवैधानिक प्रदत्त अधिकारो से वंचित किया वही दूसरी ओर असंवैधानिक विधेयक पारित कराकर उसे कानूनी दर्जा देते हुये अविलंब चुनाव की घोषणा कर दी गई।
हालाकि इस बाबत् ओबीसी की विभिन्न संगठनों एवं बहुजन समाज पार्टी के द्वारा छत्तीसगढ शासन के इस काले कानून के विरोध मे अपने-अपने स्तर पर गांव से लेकर राजधानी तक व न्यायालय के माध्यम से विधिसंगत विरोध करते चले आ रहे है, परंतु शासन अपने जिद्द पर उतारू है। शासन के इस रवैया से बहुसंख्यक ओबीसी समुदाय के हक, अधिकारो पर कटौती करते हुये उसके साथ कुठाराघात किया जा रहा है।
आगे इसी परिदृष्य में बिलासपुर नगर पालिक निगम के असली बहुसंख्य ओबीसी (तेली, कुर्मी, यादव, काछी, कलार, मरार, लोहार, आदि) जातियों के मतदाता मौजुद होने के बाद भी अन्य राज्य से आयातित परदेशी फर्जी ओबीसी को भाजपा अपना प्रत्याशी बनाकर असली ओबीसी के साथ छलावा किया है। निर्वाचन में भाग लेने वाले प्रत्याशियो को एक-दुसरे के द्वारा प्रदत्त नाम-निर्देशन प्रपत्रो एवं संलग्न दस्तावेजों को जानने, पढने, अवलोकन करने व उन लोक दस्तावेजों की सत्यापित अभिप्रमाणित प्रतिलिपि प्राप्त करने के अधिकारो से भी वंचित किया जा रहा है। बसपा के महापौर प्रत्याशी असली ओबीसी आकाश मौर्य द्वारा निर्वाचन में भाग लेने वाले भाजपा प्रत्याशी एल.पद्मजा (पूजा विधानी) द्वारा प्रस्तुत नाम-निर्देशन पत्र संलग्न दस्तावेज स्कूटनी जॉच के दौरान प्रस्तुत संलग्न दस्तावेज निर्वाचन अधिकारी का अभिमत उसके द्वारा पारित आदेश आदि सम्पूर्ण दस्तावेजों की प्रतिलिपि प्राप्त करने के लिए आवेदन प्रस्तुत किया गया है, जिसे विधि अनुरूप कार्यवाही ना करते हुये आकाश मौर्य को नकल प्रदान नहीं किया गया। बार-बार आवेदन अनुनय विनय के बावजुद भी नकल प्रदान नही किया जा रहा है। संवैधानिक अधिकारो की अवहेलना होने पर हमारे प्रत्याशी को माननीय न्यायालय के शरण में जाना पड़ा।
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