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प्रिंट रेट से अधिक कीमत में बिकती है यहां शराब,सेल्समैन से पूछने पर कहा आबकारी विभाग ने ऐसा करने को है कहा....,पड़े पूरी ख़बर...

बिलासपुर 28 अप्रैल 2022।छत्तीसगढ़ में शराब का ठेका सरकारी होने के बाद छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में शराब की कीमत प्रिंट रेट में बेचने का आदेश है है। पर प्रदेश का एक ऐसा जिला है जहाँ खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है वो भी विभाग के अधिकारियों के शह पर,हम बात कर रहे है,  बलौदाबाजार जिले के कसडोल सर्किल की जहाँ की शराब दुकान में बेखौफ ओवर रेट में शराब की बिक्री की जा रही है,जब सेल्समैन से जानकारी ली गई कि पूछा यहाँ ओवर रेट में शराब क्यो बेच रहे हो तो उसने कहा कि  यहां (ओवर रेट )में ही शराब बिकती है जब पूछा गया कि क्या आबकारी विभाग के अधिकारियों को इस बात की जानकारी है तो उसने बिना देर करते हुए  हा में जवाब देते हुए कहा कि आबकारी विभाग की जानकारी में ही यहाँ ओवर रेट में शराब दी जाती है,और पूरे कसडोल में ओवर रेट में ही आप को शराब मिलेगी। ये सब सुनके हमने सच जानने की कोशशि की,



आबकारी विभाग संदेह के घेरे में?

जिसके बाद वहा के एरिया इंसपेक्टर का नंबर लेकर बात की गई तो वहां के एरिया इंसपेक्टर सुकान्त पांडेय ने कहा कि वह पहले इस एरिया के इंस्पेक्टर थे पर अब वह नही है,और उन्हें इस बात की जानकारी भी नही है उन्होंने ने बताया कि समीर मिश्रा अब एरिया इंसपेक्टर है जब हमारी बात समीर मिश्रा से हुई तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नही है कि ओवर रेट में शराब बेची जा रही है और अगर ऐसा है तो वे एरिया इंस्पेक्टर व एडीओ से बात करेंगे,जब हमने पूछा कि आप एरिया इंसपेक्टर नही है तो उन्होंने बताया कि मैं ऑफिस में बैठता हु उस एरिया के एरिया इंसपेक्टर सुकान्त पांडेय है।

लगता है कि एरिया इंस्पेक्टर की शह पर बेची जाती है ओवर रेट पर शराब..

कसडोल सर्किल एरिया इंसपेक्टर सुकान्त के द्वारा जो गोलमोल जवाब दिया गया और खुद को एरिया इंसपेक्टर न होना बताया गया, जिससे तो ऐसा लगता है कि शायद इन्ही की शह पर ही क्षेत्र में अंग्रेजी शराब दुकान में जो ओवर रेट पर शराब बिक्री की जा रही है उसमें साहब का भी कमीशन है, तभी तो वहां खुले रूप से ओवर रेट पर शराब बिक्री की जा रही है। शायद जिले के आबकारी अधिकारियों का पेट उनकी तनख्वाह से नही भर पा रहा है शायद इसी लिए वे नियमों को ताख में रखकर ओवर रेट में शराब बिकवा रहें है। 

ज़रा आप ही सोचिए कि अगर एक शराब की बोतल पर 10 रु एक्स्ट्रा लिए जा रहे है तो दिनभर में कितने रु का वारा न्यारा किया जा रहा है, पर बड़ा सवाल यह है कि क्या इन सब में विभाग के उच्च अधिकारियों की भी संलिप्तता है अगर ऐसा नहीं है तो संबंधित अधिकारियों के ऊपर क्यों कोई कार्यवाही नहीं हुई क्या इस कमीशन के खेल में जिले का पूरा आबकारी विभाग सन सन लिप्त है? एक तरफ छत्तीसगढ़ में शराबबंदी को लेकर आंदोलन किए जा रहे हैं दूसरी तरफ जिले के अधिकारी मुनाफा कमाने खुलेआम प्रशासनिक तंत्र को मुंह चिढ़ा रहे हैं।

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