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जनता के रक्षको के हक पर डाला जा रहा है डाका, न ही तो प्रमोशन और न ही बढ़ा भत्ता,प्रमोशन,साप्ताहिक छुट्टी और कम भत्ते जैसी समस्याओं से जूझ रहे पुलिसकर्मी

बिलासपुर 03 जुलाई 2021। छत्तीसगढ़ रायपुर आम जनता की रखवाली करने वाले पुलिसकर्मियों के हक पर अफसरशाही का डाका डाला जा रहा है।इसी के चलते छत्तीसगढ़ प्रदेश के हजारों पुलिसकर्मियों का समय से पदोन्नति नही हो पा रही है।और दूसरी बात ये है कि पुलिसकर्मियों को मिलने वाले दैनिक भत्ते भी बहुत ही कम है।कहा जाए तो वर्तमान में ये भत्ते ऊंट के मुँह में जीरे के समान है।साप्ताहिक अवकाश की घोषणा भी सिर्फ कागजों में सिमट कर राह गई है।
वेतनविसंगति की भी समस्याए आज तक सुलझ नही पाई है। सूत्रों की माने तो वितन्मान जरूर सातवां मिल रहा है,पर भत्ता छठवें वेतनमान के हिसाब से दिया जा रहा है।राजधानी रायपुर में आज भी सिपाहियों को साइकिल भत्ता दिया जा रहा है।जबकि की किसी भी पुलिसकर्मियों के पास साइकिल नही है।जिससे कि पुलिसकर्मियो को आर्थिक व मानसिक समस्याओं से जूझना पड़ रहा है।

कुछ इस तरह मिलते है भत्ते...

फिक्स टीए --25 रुपये

वर्दी धुलाई--60 रुपये

पौस्टिक आहार--100रुपये

साईकिल भत्ता--18 रुपये

रिस्पांस भत्ता---1000 रुपये(केवल थाने में पदस्त पुलिस कर्मी को)

आवास भत्ता-मूल वेतन का 7 फीसदी।


वेतनमान सातवां पर भत्ता छठवा....


सूत्र बताते है कि कई पुलिसकर्मियों को पे स्लिप नही दिया जाता है।वेतनमान सातवां मिल रहा है पर दैनिक भत्ते अभी भी छठवें वेतनमान के हिसाब से मिल रहा है।इसमें अभी तक कोई सुधार नही हुआ है।



साप्ताहिक छुट्टी की हुई छुट्टी.....

पुलिसकर्मियों को सप्ताह में एक दिन की छुट्टी देने की करीब दो साल पहले घोषणा की गई थी।जो आज तक जमीनी हकीकत नही बन पाई है।कुछ जिलों में इसकी शुरुआत हुई पर बाद में उच्च अधिकारियों ने बल की कमी बताकर पुलिसकर्मियों को साप्ताहिक छुट्टी देना बंद कर दिया है।साप्ताहिक छुट्टी देने का मकसद पुलिस के जवानों को लगातार लंबी ड्यूटी ,तनावसे दूर रखना था।

25 रुपये में कैसे पकड़े अपराधी......

पुलिसकर्मियों को फिक्स टीए 25 रुपये है।समान्य शहर में यह 60 रुपये व महानगर में 80 रुपये मिलता है।लेकिन अगर किसी शहर में पुलिसकर्मि को ठहरना पड़ जाए तो खाने पीने का खर्चा और होटल के कमरे का अतिरिक्त खर्च उन्हें खुद ही वहन करना पड़ता है।ठीक इसी तरह शहर में भी वारंट व समन तामील करने के लिए भी अपना ही खर्च करना पड़ता है।इसी तरह के कई भत्ते है जो वर्तमान के हिसाब से बहुत कम है।भत्ते से कई गुना ज्यादा खर्च हो जाता है।



प्रमोशन की प्रकिया चल रही है।भत्तों का निर्धारण शासन स्तर पर किया जाता है।पुलिसकर्मियों के साप्ताहिक छुट्टी का आदेश हो चुका है।कुछ जिलों में साप्ताहिक छुट्टी दी जा रही है।कुछ जिलों में बल की कमी के चलते समस्या आई है।नई भर्ती होने के बाद यह नियमित रूप से हो जाएगा।

डीएम अवस्थी, डीजीपी छत्तीसगढ़.

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