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पर्यटकों के आवागमन को सुचारू रूप से प्रारंभ करने के लिए एम पी-सी जी बॉर्डर को खोलना आवश्यक : श्रीधर शर्मा

बिलासपुर से नीरज शुक्ला की रिपोर्ट।
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 अमरकंटक। पर्यटकों का आवागमन अमरकंटकवासियों के घर पर चूल्हा जलने पर का एकमात्र सहारा, अमरकंटक में दूसरे रोजगार के साधन मौजूद नहीं, पर्यटकों और दर्शनार्थियों के आवागमन और उनकी खरीदी पर आश्रित हैं कई अमरकंटक में निवास करने वाले परिवार, मंदिर में प्रसाद चढ़ाना बंद होने की स्थिति में आसपास के छोटे दुकानदारों को अनलॉक के बाद भी झेलनी पड़ रही बेरोजगारी की मार
अमरकंटक, अनूपपुर जिले की धर्म नगरी अमरकंटक में भी कोरोनाकाल में स्थितियां बेहद खराब थीं और यहां रोजगार के साधनों का अभाव अमरकंटक वासियों के लिए सबसे बड़ी समस्या है।
अमरकंटक में बहुत से ऐसे परिवार हैं, जो कि दर्शनार्थियों और पर्यटकों के आवागमन और उनकी खरीदी से अपना भरण पोषण करते हैं और कोरोनाकाल में सभी दुकानें बंद थीं, पर्यटकों और दर्शनार्थियों का अमरकंटक में आना जाना पूर्णतया बंद था, इन परिस्थितियों में इनके लिए दो वक्त की रोटी की व्यवस्था कर पाना भी एक बड़ी चुनौती थी। हालांकि मध्यप्रदेश शासन के द्वारा तीन माह का राशन दिए जाने का प्रावधान था और कई जगह वितरण हुआ तो कई जगह आज भी राशन वितरण शेष है। लगभग 45 से 50 दिनों के लॉक डाउन के बाद अमरकंटक वासियों के चेहरे पर एक खुशी की लहर दिखाई दी थी लेकिन अब उस खुशी के बाद पुनः वो चेहरे मुरझाने लगे हैं।

अमरकंटक में प्रवेश करने के लिए मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ के जो प्रमुख बॉर्डर हैं, उन्हें अब तक सील रखा गया है, जिसके कारण पर्यटकों के आवागमन में अभी भी बाधा उत्पन्न हो रही है और बहुत ही कम बल्कि न के बराबर पर्यटक व दर्शनार्थी अमरकंटक पहुंच रहे हैं। जिससे छोटे व्यापारियों के लिए निरंतर समस्या बढ़ती जा रही है। मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश सचिव,परम धर्म सांसद व हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता ने आम जनता की समस्या के दृष्टिगत दोनों राज्य सरकारों से अपील की है कि छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश दोनों बॉर्डर को खोलना बहुत जरूरी है, छत्तीसगढ़ से अमरकंटक आने वाले पर्यटकों व दर्शनार्थियों को बॉर्डर पर न रोका जाए। अमरकंटक में प्रवेश करने के लिए कबीर बॉर्डर, जालेश्वर धाम व दुर्गा धारा सहित तीनों बॉर्डर शीघ्र खोलना अति आवश्यक है। आज अमरकंटक केवल पर्यटन के सहारे चल रहा है, इस अमरकंटक मे रोजगार के कोई दूसरे विकल्प नहीं है, यहां तक कि खेती का भी विकल्प नहीं है। यहां के बैगा आदिवासी, मंदिर मे नारियल बेचने वाले इत्यादि सभी का जीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है।परम धर्म सांसद व मध्य प्रदेश कॉंग्रेस कमेटी के प्रदेश सचिव श्रीधर शर्मा ने दोनों राज्य सरकारों से मांग की है कि जल्द से जल्द छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश की सीमाओं को तत्काल खोला जाए, जिससे कि अमरकंटक में एक बार फिर खुशी व्याप्त हो सके।

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