बिलासपुर से नीरज शुक्ला की रिपोर्ट।
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बिलासपुर/बिल्हा। कहने को तो केंद्र एवं राज्य सरकार के द्वारा सराकरी एवं सार्वजनिक कार्यो में भ्रस्टाचार पर रोक लगाने एवं पारदर्शिता लाने के लिए आरटीआई कानून की व्यवथा की गई है।
जिसके अंतर्गत सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत जानकारी प्रदान करने का नियम है किंतु सरकार की नौकरी करने वाले सरकारी नुमाइंदों के द्वारा छत्तीसगढ़ सरकार की फजीहत विधानसभा में अवैध प्लाटिंग एवं कालोनाइजिंग मामले में प्रश्न उठने एवं फजीहत होने के बावजूद बिल्हा नगरपालिका क्षेत्र अंतर्गत मुख्य नगरपालिका अधिकारी एवं एसडीएम के मौन सहमति से न सिर्फ बिल्हा क्षेत्र में कृषि भूमि एवं आदिवासियों की भूमि का अवैध खरीद फरोख्त एवं प्लाटिंग का कार्य जारी है। बल्कि आम निस्तारी के लिए वर्षो से हजारों लोगों के द्वारा उपयोग किये जाने वाले तालाब को भी भूमाफियाओं के द्वारा स्थानीय अधिकारियों के सरपरस्ती में अवैध रूप से खुलेआम अवैध प्लॉटिंग का खुला खेल जारी ही। जब उक्त मामले की जानकारी न्यायलयीन कार्यवाही के लिए मांगे जाने पर जानकारी देने के बजाय अधिवक्ता को बिल्हा उप पंजीयक कार्यालय से बिल्हा के धोबीपारा वार्ड में अवैध जमीन तालाब खरीदी बिक्री की जानकारी मांगी गई थी 3-4 बार उप पंजीयक कार्यालय उक्त जानकारी लेने अवलोकन करने पहुंचने पर आवेदक अधिवक्ता को अवलोकन करने देने के बजाय क्लोजिंग में कार्यालय बंद होने कि बात कहके सोमवार को आइये देखते हैं कहकर घुमाया जा रहा है। तो आप समझ लीजिए आम इंसान को जानकारी लेने कितना चक्कर लगाना पड़ता होगा।
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