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बीएमओ नगरी के संरक्षण में जारी आमजनता से लूट का खुला खेल,डाटा एंट्री ऑपरेटर के साथ मिलकर बनाया फर्जी सॉफ्टवेयर,लाखो रूपए की की गई वसुली एवं बंदरबांट,मामला आया मीडिया में तब करने लगे कार्यवाही की बात,मामले में की जा रही है लीपापोती की खेल,भ्रष्ट बीएमओ एवं दोषियों पर कब होगी एफआईआर,उठने लगी मांग

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बिलासपुर से नीरज शुक्ला की रिपोर्ट।
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धमतरी।छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार का खेल इन दिनों खुलेआम खेला जा रहा है।चाहे फर्जी नियुक्ति का मामला हो या फिर आम जनता से फर्जी सॉफ्टवेयर के सहारे लूटने का कारोबार बेख़ौफ़ जारी है।

              यू तो स्वास्थ्य मंत्री छत्तीसगढ़ में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा एवं स्वास्थ्य अमले को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने का दावा करते नही थकते है। जमीनी स्तर पर यदि स्वास्थ्य अमले के अधिकारियों के कारनामों पर नजर डाले तो हर तरफ गोलमाल नजर आता है।

               ऎसा ही सनसनीखेज मामले का खुलासा सूचना के अधिकार से मिले जानकारी से हुआ है जिसमे धमतरी जिले के नगरी समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नगरी के बीएमओ एवं डाटा एंट्री ऑपरेटर सचिन खेदडे के द्वारा मिलीभगत करके बिना स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों से अनुमति प्राप्त किये एवं जीवन दीप समिती के अध्यक्ष क्षेत्रीय विधायक एवं सचिव एसडीएम नगरीय से अनुमोदन कराए बिना ही बीएमओ नगरी के मार्गदर्शन में फर्जी सॉफ्टवेयर बनाकर जीवन दिप समिति के द्वारा मरीजो से पर्ची बनाने के दौरान ली जाने वाली राशि वर्ष 2020 अंर्तगत 1 लाख 29 हजार का गबन किया गया है जबकि उक्त सॉफ्टवेयर का निर्माण 2017 से किया गया है यदि 2017 से आज दिनांक तक पूरे फर्जीवाडा का आंकलन किया जाए तो यह लगभग 5 लाख से उपर तक जा सकती है।


             इतना ही नही छत्तीसगढ़ शासन द्वारा निःशक्त जनों बुजुर्गों एवं गर्भवती महिलाओं को मिलने वाली रियायतों एवं निःशुल्क दवाओं को भी उनके उम्र में हेरफेर करते हुए डाटा एंट्री ऑपरेटर सचिन खेदडे एवं बीएमओ डॉ डीआर ठाकुर के द्वारा उक्त फर्जीवाडा को अंजाम दिया गया है।

             सूत्रों की माने तो उक्त फर्जीवाडा को अंजाम देने एवं उगाही के इस खेल का मास्टरमाइंड बीपीएम हितेंद्र कुमार साहू को बताया जा रहा है।

*आरटीआई से हुआ मामले का खुलासा*

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नगरी में आम नागरिकों को फर्जी सॉफ्टवेयर के माध्यम से लूट की जानकारी सूचना के अधिकार के माध्यम से प्राप्त होने पर इस मामले के फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ।

      *आरटीआई में दी गई भ्रामक जानकारी*


            भ्रष्टाचार करने वाला ब्यक्ति चाहे जितनी भी चालाकी कर लें आखिर में उसकी गड़बड़ी सामने आ ही जाती है ऐैसा ही वाक्या समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नगरी में हुए फर्जीवाड़े में सामने आया जिसमे एक ही मामले में दो बार जानकारी प्रदान की गई,जहाँ पहले जवाब में आरोपी डाटा एंट्री के विरुद्ध एफआईआर दर्ज होने एवं गबन की राशि वसूली के सम्बंध में नोटिस दिए जाने एवं पुलिस द्वारा की जा रही कार्यवाही की जानकारी नही होने का ज़िक्र किया गया है।वही दोबारा संसोधन कर दिए गए जवाब में ठीक इसके विपरीत दोषियों के विरुद्ध एफआईआर प्रक्रियाधीन होने एवं वसुली किये जाने की कार्यवाही चलने एवं सॉफ्टवेयर निर्माण के लिए बीएमओ द्वारा मौखिक आदेश दिए जाने की बात कही गई है।


                 आरटीआई के एक आवेदन पर एक ही अधिकारी द्वारा दो प्रकार की जानकारी दिया जाना पूरी तरीके से भ्रामक होने सहित आरोपियों को बचाने बीएमओ साहब के दरियादिली के तरफ इशारा करती है।


                *पूरे मामले में जीवन दिप समिति के अध्यक्ष (क्षेत्रीय विधायक) एवं सचिव (एसडीएम) की भूमिका पर उठे सवाल*

किसी भी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के विकास एवं देखरेख के लिए छत्तीसगढ़ शासन द्वारा क्षेत्रीय विधायक को जीवन दिप समिति का पदेन अध्यक्ष एवं प्रशासनिक कसावट हेतु अनुविभाग के एसडीएम को सचिव नियुक्त किया जाता है किंतु वर्ष 2017 से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नगरी में आखिर बीएमओ साहब एवं कंप्यूटर ऑपरेटर के द्वारा उक्त सॉफ्टवेयर के माध्यम से किए जा रहे फर्जीवाडा एवं भ्रष्टाचार पर इन जिम्मेदार लोगों द्वारा कोई अंकुश क्यों नही लगाया गया क्या लूट की खुली छूट के लिए इनके द्वारा मौन सहमति तो नही है।
 
           *क्या कहते है जिम्मेदार जनप्रतिनिधि/अधिकारी*

उक्त मामले के संबंध में जीवन दिप समिति के अध्यक्ष विधायक लक्ष्मी ध्रुव से दूरभाष में संपर्क करने पर उन्होंने बताया कि मुझे इस मामले की जानकारी नही है मैं मामले को दिखवाती हूँ


जीवन दिप समिति के सचिव एसडीएम से दूरभाष में संपर्क साधने पर मामले को सज्ञान में नही होना बताया गया,मामले की विस्तृत जानकारी लेकर बताता हूं

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