बिलासपुर से नीरज शुक्ला की रिपोर्ट।
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बिलासपुर।छत्तीसगढ़ प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था की हालत किसी से छुपी नहीं है और ग्रामीण परिवेश के बच्चों के लिए कोई भी सरकार जो योजनाएं शिक्षा को ध्यान में रखकर बनाती है वह सबसे पहले भ्रष्टाचार और अनियमितता करने का रास्ता पहले तय करती है।बाद में बच्चे और उनका भविष्य उनके हिसाब से ज्यादा मायने नहीं रखता है।ठीक इसी प्रकार छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री डीएवी पब्लिक स्कूल कि जब स्थापना हुई जिसमें छत्तीसगढ़ शासन के साथ अनुबंध किया गया जो कि पहले मॉडल स्कूलों के नाम से संचालित होती थी और वर्तमान में प्रदेश के 72 स्कूलों को एक एक निजी संस्था डीएवी कॉलेज एवं मैनेजिंग कमेटी नई दिल्ली को प्रबंधन की जिम्मेदारी दी गई तथा अनुबंध के हिसाब से एवं बच्चों की संख्या तथा कक्षा के हिसाब से पीजीटी, टीजीटी एवं पीआरटी की संख्या निर्धारित की गई थी।मगर डीएवी प्रबंधन छत्तीसगढ़ के प्रमुख क्षेत्रीय अधिकारी श्री प्रशांत कुमार ने ज्यादा लालच में आकर भ्रष्टाचार करते हुए छत्तीसगढ़ शासन के अधिकारियों के साथ मिलकर संविदा पर शिक्षक शिक्षिकाओं की नियुक्ति कर डाली और शासन से पूरा अनुदान जो मापदंड और अनुबंध के हिसाब से सरकार से लेना चाहिए वह लेते रहे।क्योंकि उनके इस मिलीभगत में कहीं ना कहीं छत्तीसगढ़ शासन के प्रशासनिक अधिकारी संलिप्त है।तभी इतना बड़ा भ्रष्टाचार और अनियमितता कई वर्षों से चलता आ रहा है।
कई स्कूलों में तो लैब की व्यवस्था तक नहीं हो पाई है जबकि सरकार से अनुदान मिल चुका है।वर्तमान में डीएवी मुख्यमंत्री पब्लिक स्कूलों में विगत 13 माह से शिक्षक शिक्षिकाओं का हृदय विदारक शोषण श्री प्रशांत कुमार की तानाशाही का नतीजा है।जिसमें छत्तीसगढ़ शासन के अधिकारी भी पूरी तरह से संलिप्त है जिसमें 13 माह से शिक्षक शिक्षिकाओं को बिना वेतन के काम करना पड़ रहा है।और आज तक सभी को वेतन नहीं मिल पाया है।अब आप खुद ही अंदाजा लगाइए कि 72 स्कूलों में लगभग 500 शिक्षक शिक्षिकाओं का परिवार आज रास्ते पर भीख मांगने को मजबूर है और जिसकी जिम्मेदारी प्रशांत कुमार और ना ही छत्तीसगढ़ शासन के शिक्षा सचिव ले रहे है|अपितु शिक्षक शिक्षिकाओं को डराया और धमकाया जा रहा है कि शिकायत करने पर आपको नौकरी से निकाल दिया जाएगा |अभी अपनी गरीबी से तंग आकर कुछ लोगों ने प्रधानमंत्री कार्यालय को डीएवी प्रबंधन एवं छत्तीसगढ़ शासन के खिलाफ प्रधानमंत्री को लिखा है जल्द से जल्द हमारे आर्थिक संकटों को दूर करके एवं वेतन देकर हमारे परिवारों को मरने से बचाया जाए।इस डीएवी प्रबंधन के बारे में शिक्षाविद एवं समाजसेवी डॉ मनीष राय, राष्ट्रीय संगठन महामंत्री, दुर्घटनामुक्त भारत, माधव नेत्रालय नागपुर ने भी बताया कि डीएवी प्रबंधन में भारी भ्रष्टाचार और अनियमितता कई वर्षो से होती आ रही हैं।इस सबके जिम्मेदार कही न कही श्री प्रशांत कुमार है।डॉ मनीष राय ने मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव श्री सुब्रत साहू से बात की तो उन्होंने अनभिज्ञता जाहिर करते हुए शिक्षा सचिव से बात करने की ओर इशारा किया।जबकि यह डीएवी मुख्यमंत्री पब्लिक स्कूल की सोच श्री सुब्रत साहू शिक्षा सचिव रहते हुए छत्तीसगढ़ शासन में लाये थे।श्री राय ने शिक्षा सचिव डॉ. आलोक शुक्ला से भी बात की है और जल्द से जल्द इस समस्या का निराकरण करने के लिए मुख्यमंत्री को अवगत कराने के लिए भी कहां है।क्योंकि 500 परिवार जो हमारे व आपके एवं ग्रामीण परिवेश के बच्चों का भविष्य बनाने में लगे हुए हैं।खुद उनका परिवार आज आर्थिक तंगी से जूझ रहा है और अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है यह छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार के लिए शर्मनाक है।एक तरफ छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोलने का ढोंग कर रही है,और दूसरी तरफ पहले से ही संचालित 72 डीएवी मुख्यमंत्री पब्लिक स्कूलों को ध्यान ही नहीं दे रही है। क्योंकि कहीं ना कहीं यह स्कूल राजनीति का शिकार हो रहा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल मे अगर थोड़ी सी भी संवेदना बची है तो इन 72 स्कूलों को भी डीएवी से मुक्त करा कर उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम में बदल दिया जाए,तो शायद इसमें पढ़ने वाले बच्चे एवं पढ़ाने वाले शिक्षक शिक्षिकाओं का भविष्य सुरक्षित रह जाएगा। यह सारी बातें एवं सुझाव शिक्षाविद डॉ मनीष राय ने शिक्षा सचिव को एवं मीडिया के माध्यम से प्रेस को बताया।
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