बिलासपुर 17 अगस्त 2020 । जिले के आबकारी विभाग में अब अधिकारियों की मनमौजी चल रही है। राज्य शासन के आदेश की जमकर धज्जियाँ उड़ाई जा रही है । विवादास्पद कार्यप्रणाली के लिए चर्चित अधिकारी को तबादले के बाद भी यहीँ रखने की जिद है।
राज्य शासन ने नवगठित जिला गौरेला-पेंड्रा-मरवाही में आबकारी विभाग की टीम तैनात करने पिछले हफ्ते बिलासपुर के करीब 15 अधिकारी कर्मचारियों को प्रशासनिक व्यवस्था के तहत गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में पोस्टिंग करने आदेश जारी किया था। जिसमे विवादास्पद और चर्चित सहायक जिला आबकारी अधिकारी रविंद पांडेय की भी ड्यूटी तत्काल प्रभाव से नवगठित जिले में लगाने आदेश किया गया था। मगर इस अधिकारी ने तिकड़ी लगा ली फलस्वरूप राज्य शासन के आदेश को ठेंगा दिखाते हुए रविन्द्र पांडेय के लिए नया आदेश जारी कर उन्हें तखतपुर और सीपत का अतिरिक्त प्रभार सौपकर उन्हें यहां से नए जिले के लिए रिलीव नही किया गया।
शेष स्थानांतरित कर्मियों को नए जिले के लिए रिलीव कर दिया गया। जिले के मुखिया और दो माह पहले ही पदस्थ हुए कलेक्टर को विभाग ने सम्भवतः अंधेरे में रखते हुए रविन्द्र पांडेय के बारे में वस्तुस्थिति से शायद अवगत नही कराया है।अन्यथा कलेक्टर उन्हें जरूर नए जिले के लिए रिलीव कर देते ।
प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा गौरेला पेंड्रा मरवाही को नया जिला घोषित करने के बाद से नए जिले में जिला स्तर की प्रशासनिक व्यवस्था के लिए तेजी से काम हो रहा है। इसी के तहत आबकारी विभाग की टीम तैनात करने राज्य शासन ने बिलासपुर जिले के 15 अधिकारी , कर्मचारी को वैकल्पिक तौर पर नए जिले में भेजने का निर्णय लेते हुए विगत 7 अगस्त को एक तबादला आदेश जारी किया था। जिसमें तत्काल प्रभाव से लागू किये जाने का उल्लेख था ।
शासन के इस आदेश के मुताबिक सभी स्थानांतरित अधिकारी , कर्मचारियों को बिलासपुर से तत्काल नए जिले के लिए रिलीव कर देना था । राज्य शासन के तबादला आदेश में यह महत्वपूर्ण था कि बिलासपुर में पदस्थ चर्चित व अपनी कार्यशैली के कारण विवादास्पद बने सहायक जिला आबकारी अधिकारी रविन्द्र पांडेय को भी नए जिले में भेज दिया गया था। मगर राज्य शासन के तबादला आदेश पर 6 दिनों तक कार्रवाई नही करने के बाद सातवें दिन स्थानीय स्तर पर एक आदेश निकाला गया जो चौकाने वाला था । इस आदेश में नए जिले में स्थानांतरित आबकारी उप निरीक्षक समीर मिश्रा को अपना प्रभार सहायक जिला आबकारी अधिकारी रविन्द्र पांडेय को सौंपने निर्देश था साथ ही रविन्द्र पांडेय को छोड़ अन्य सभी को मरवाही में अपनी उपस्थिति देने निर्देश था ।
सवाल यह उठता है कि आखिर रविन्द्र पांडेय को मरवाही क्यो नही भेजा जा रहा , उन्हें बिलासपुर में ही क्यों रखना चाहते है ?जबकि बिलासपुर में उनकी कार्यशैली को लेकर विभाग की काफी किरकिरी हो चुकी है । सच्चाई क्या है ये तो आबकारी विभाग के अधिकारी ही जाने लेकिन कोई लेनदेन को लेकर रविन्द्र पांडेय की आडियो कुछ समय पूर्व काफी वायरल हुई थी ।
राज्य शासन के तबादला आदेश और रविन्द्र पांडेय को यही रखे जाने के पीछे जो घालमेल हुआ है उस पर लग तो यही रहा है कि विभाग को लोग नवपदस्थ कलेक्टर डॉ सारांश मित्तर को रविन्द्र पांडेय के बारे में और उसकी कार्यशैली को लेकर कुछ अवगत कराने के बजाय छिपाने का काम किया है । हालांकि कलेक्टर के संज्ञान में यह बात अन्य श्रोत के द्वारा ला दिया गया है ।
यह उल्लेखनीय है कि नया जिला गौरेला पेंड्रा मरवाही मध्यप्रदेश की सीमा से लगा हुआ है और मप्र से शराब की तस्करी कर गौरेला पेंड्रा मरवाही के रास्ते छत्तीसगढ़ में लाया जाता है । जो बदस्तूर जारी है । मप्र से शराब की तस्करी रोकने नए जिले में पर्याप्त आबकारी अमले का होना जरूरी है मगर यहां तो राज्य शासन के द्वारा पोस्टिंग किये गए अधिकारी को ही रोक दिया है ।
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