बिलासपुर 10 अगस्त 2025।बिलासपुर सांप्रदायिक सौहार्द और आपसी भाईचारे की एक अनूठी मिसाल बिलासपुर के सूर्या चौक, चिंगराज पारा में देखने को मिली, जहां वर्षों से अधूरा पड़ा नागेश्वर महादेव मंदिर अब अपने भव्य रूप में स्थापित हो गया। इस अद्वितीय कार्य में एक मुस्लिम युवक की पहल और पूरे समाज के सहयोग ने साबित कर दिया कि आस्था और इंसानियत की कोई दीवार नहीं होती।
करीब 15–20 वर्ष पहले मोहल्लेवासियों ने मेन रोड पर एक बड़े मंदिर के निर्माण की योजना बनाई थी। उत्साह और सहयोग से निर्माण तो शुरू हुआ, लेकिन किसी कारणवश यह मंदिर केवल ढांचे के रूप में अधूरा रह गया। समय के साथ यह ढांचा वर्षों तक अधूरा खड़ा रहा, लेकिन मोहल्ले के लोगों के दिलों में इसे पूर्ण करने की इच्छा हमेशा बनी रही।
मुस्लिम युवक ने उठाई जिम्मेदारी
सूर्या चौक निवासी मुस्लिम युवक मुसरफ खान ने इस अधूरे मंदिर को देखकर मन में संकल्प लिया कि इसे पूर्ण कराकर मूर्ति स्थापना तक की प्रक्रिया संपन्न करेंगे। हालांकि, हिंदू रीति-रिवाजों और मंदिर निर्माण की परंपराओं की जानकारी न होने के कारण वे पहले कदम नहीं उठा पा रहे थे। बाद में उन्होंने धैर्य और लगन से आवश्यक जानकारी जुटाना शुरू किया और निर्माण कार्य को आगे बढ़ाने की योजना बनाई।
पार्षद और समाज का मिला साथ
निर्माण की सबसे बड़ी समस्या धन की कमी थी। इसी बीच चिंगराज पारा की पार्षद रेखा सूर्यवंशी ने आगे बढ़कर मुसरफ खान को आश्वासन दिया कि मंदिर निर्माण में वह पूरा सहयोग देंगी। मुसरफ खान ने लोगों से सहयोग की अपील की, तो उनका यह समर्पण देखकर हिंदू समुदाय के लोग भी जुड़ते गए।
बीजेपी नेता राजू सोनकर ने मंदिर में टाइल्स और पेंट का पूरा खर्च उठाया, जबकि स्टील रेलिंग के लिए कान्हा स्टील ने सहयोग प्रदान किया। सबसे बड़ी चुनौती थी — मुख्य शिवलिंग व मूर्ति का खर्च। यह जिम्मेदारी बंधवा पारा के वैष्णव परिवार ने अपने दिवंगत सदस्य स्व. लछमण वैष्णव की स्मृति में उठाई। परिवार ने जबलपुर से मूर्ति खरीदकर मंदिर समिति को भेंट की।
सावन के पवित्र माह में पूर्ण हुआ सपना...
सावन के अंतिम सोमवार को पूरे विधि-विधान के साथ मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा संपन्न की गई। इसके साथ ही, वर्षों से अधूरा पड़ा यह मंदिर नागेश्वर महादेव मंदिर के रूप में अपनी भव्य पहचान के साथ श्रद्धालुओं के लिए खुल गया।
मोहल्लेवासी ही नहीं, आसपास के क्षेत्रों के लोग भी इस कार्य में जुड़े और आर्थिक व शारीरिक सहयोग देकर भाईचारे का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया। इस मौके पर माहौल भक्ति, उल्लास और आपसी प्रेम से सराबोर रहा।
नागेश्वर महादेव मंदिर की कहानी आज इस बात का प्रमाण है कि जब इरादे नेक हों और इंसानियत साथ हो, तो धर्म और जाति की सीमाएं मायने नहीं रखतीं।
0 Comments