बिलासपुर 29 अगस्त 2025।बिलासपुर साइबर अपराधियों ने बिलासपुर में धोखाधड़ी का एक हैरतअंगेज मामला अंजाम दिया है। जालसाजों ने सीबीआई अधिकारी बनकर 72 वर्षीय रिटायर्ड कर्मचारी को झांसे में लिया और तीन महीने तक उन्हें डिजीटल अरेस्ट कर रखा। इस दौरान उनसे एक-एक कर कुल 1 करोड़ 9 लाख रुपये ऐंठ लिए। घटना की जानकारी वृद्ध ने परिजनों को भी नहीं दी, क्योंकि आरोपियों ने किसी से भी बात न करने की धमकी दी थी। मामला तब उजागर हुआ जब छह महीने बाद उनका बेटा घर आया और उन्होंने पूरी बात बताई।
सरकंडा टीआई निलेश पांडेय के अनुसार, मोपका निवासी पुरुषोत्तम दुबे (72 वर्ष) एसईसीएल से सेवानिवृत्त कर्मचारी हैं। उनका बेटा बाहर नौकरी करता है और घर पर अकेले रहते थे।जनवरी 2025 में उनके मोबाइल पर एक अनजान नंबर से फोन आया,कॉल करने वाले ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताया और कहा कि नौकरी के दौरान उन्होंने घपला किया है, जिसकी अब जांच हो रही है।इसके बाद आरोपी ने वीडियो कॉल पर पूछताछ की और "जांच" के बहाने उन्हें डिजीटल अरेस्ट कर लिया।जालसाजों ने वृद्ध को डर और दबाव में रखकर यह कहा कि यदि वे सहयोग नहीं करेंगे तो उनके खिलाफ केस दर्ज होगा और उन्हें जेल जाना पड़ेगा।जनवरी से मार्च तक लगातार फोन और वीडियो कॉल कर आरोपी उन्हें डराते रहे।हर बार "जांच में बचाने" के नाम पर रकम जमा करने की बात कही जाती थी।धीरे-धीरे वृद्ध ने अपनी जमा पूंजी और बैंक बैलेंस से मिलाकर 1 करोड़ 9 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए।पैसे खत्म होने पर जालसाजों ने फोन करना बंद कर दिया।वृद्ध ने पुलिस को बताया कि जालसाजों ने किसी भी प्रकार की जानकारी परिवार या बाहर किसी को न देने की धमकी दी थी।बेटा बाहर नौकरी पर होने और मानसिक दबाव की वजह से उन्होंने किसी को कुछ नहीं बताया, अगस्त में जब बेटा घर आया, तब उन्होंने पूरी बात बताई है।घटना की शिकायत सरकंडा थाने में दर्ज की गई है। पुलिस ने धोखाधड़ी और साइबर क्राइम के तहत मामला कायम कर लिया है। अब साइबर सेल और पुलिस की संयुक्त टीम मामले की जांच कर रही है।
साइबर अपराधी खुद को जांच एजेंसी (CBI, ED, पुलिस आदि) का अधिकारी बताकर पीड़ित से वीडियो कॉल पर पूछताछ करते हैं। वे कैमरे के सामने रहने और बाहर किसी से संपर्क न करने का दबाव डालते हैं। इसे ही "डिजिटल अरेस्ट" कहा जाता है। इस दौरान वे डराकर बड़ी रकम ऐंठ लेते हैं।
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