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आईजीकेवी के अधीन केवीके कर्मचारियों के साथ संस्थागत भेदभाव का आरोप, 27 मई से राज्यव्यापी आंदोलन की चेतावनी...


बिलासपुर, 26 मई 2025।बिलासपुर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय (आईजीकेवी) के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) में कार्यरत कर्मचारियों ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर संस्थागत भेदभाव, सेवा शर्तों के उल्लंघन और संवैधानिक अधिकारों की अनदेखी का गंभीर आरोप लगाया है। तकनीकी कर्मचारी संघ ने इस संबंध में एक ज्ञापन सौंपते हुए 15 दिनों के भीतर समाधान की मांग की है। समाधान नहीं होने की स्थिति में 27 मई से राज्यव्यापी आंदोलन की चेतावनी दी गई है।

तकनीकी कर्मचारी संघ का आरोप है कि केवीके में कार्यरत कर्मचारियों को उन मूलभूत अधिकारों से वंचित किया जा रहा है जो अन्य विश्वविद्यालय कर्मचारियों को प्राप्त हैं। यह न केवल भेदभावपूर्ण है, बल्कि संविधान द्वारा प्रदत्त समानता के अधिकार (अनुच्छेद 14) और अभिव्यक्ति एवं संगठन के अधिकार (अनुच्छेद 19) का स्पष्ट उल्लंघन भी है।

प्रमुख समस्याएँ और कर्मचारी संघ की आपत्तियाँ...

1. पेंशन एवं सामाजिक सुरक्षा से वंचना, केवीके कर्मचारियों को ना तो पुरानी पेंशन योजना (OPS) और ना ही राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) के लाभ मिल रहे हैं, जिससे उनके भविष्य की आर्थिक सुरक्षा खतरे में है।

2. मेडिकल एवं अन्य भत्तों की समाप्ति, बिना किसी स्पष्ट आदेश या सूचना के मेडिकल भत्ते रोक दिए गए हैं, जिससे दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत कर्मचारियों को भारी आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

3. कैरियर उन्नयन योजना (CAS) का उल्लंघन,पात्र एवं योग्य कर्मचारियों को पदोन्नति और वेतनवृद्धि से वंचित रखा गया है, जो उनकी सेवा प्रेरणा और कार्य गुणवत्ता को प्रभावित कर रहा है।

4. सेवा-निवृत्ति आयु में भेदभावः
केवीके के कर्मचारियों को 60 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त किया जा रहा है, जबकि विश्वविद्यालय के अन्य कर्मचारियों के लिए यह सीमा 62 या 65 वर्ष है। यह नीति अस्पष्ट और भेदभावपूर्ण मानी जा रही है।

5. सेवानिवृत्ति उपरांत लाभों की अनदेखी पेंशन, ग्रेच्युटी और सेवानिवृत्ति के बाद की चिकित्सा सुविधाएँ जैसे अधिकार भी केवीके कर्मचारियों को नहीं मिल रहे हैं।

6. विशुद्ध अस्थायी नियुक्तियों का विरोध,संघ का आरोप है कि विश्वविद्यालय द्वारा केवीके में की जा रही अस्थायी नियुक्तियाँ न केवल असंवैधानिक हैं, बल्कि यह आईजीकेवी अधिनियम 1987 और ICAR के दिशा-निर्देशों का भी उल्लंघन है।

संघ ने की ये मांगे....

केवीके कर्मचारियों को विश्वविद्यालय के समकक्ष पदों के समान सेवा लाभ दिए जाएँ।

एनपीएस/ओपीएस, मेडिकल भत्ते और सीएएस योजना को तत्काल बहाल किया जाए।

सेवा-निवृत्ति आयु 62 या 65 वर्ष निर्धारित की जाए।

सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन, ग्रेच्युटी और चिकित्सा सुविधाएँ प्रदान की जाएँ।

विवादित अस्थायी नियुक्तियों के विज्ञापन को तत्काल निरस्त किया जाए।

संघ ने साफ शब्दों में कहा है कि यदि इन मांगों का 15 दिनों के भीतर समाधान नहीं हुआ तो 27 मई से संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) और (b) के तहत शांतिपूर्ण ढंग से राज्यव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा। यह आंदोलन विश्वविद्यालय की शैक्षणिक, अनुसंधान और प्रसार गतिविधियों को प्रभावित कर सकता है। संघ ने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसी किसी भी स्थिति की पूरी जिम्मेदारी विश्वविद्यालय प्रशासन की निष्क्रियता और भेदभावपूर्ण नीति पर होगी।

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