बिलासपुर 26 मार्च 2025।बिलासपुर भारत में कोलोरेक्टल कैंसर के मामलों में बढ़ोतरी को देखते हुए अपोलो कैंसर सेंटर्स ने "कॉल फिट" नामक व्यापक स्क्रीनिंग प्रोग्राम लॉन्च किया है। इसका उद्देश्य कैंसर की जल्द पहचान कर जीवन प्रत्याशा बढ़ाना और उपचार की लागत कम करना है।
विशेषज्ञों के अनुसार, शुरुआती चरण में निदान होने पर कोलोरेक्टल कैंसर का सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है। हालांकि, भारत में इस बीमारी के मरीजों के जीवित रहने की दर केवल 40% है, जो चिंताजनक है। इस कैंसर के लक्षणों में मल त्याग की आदतों में बदलाव, मल में रक्त, पेट दर्द, वजन घटने जैसी समस्याएं शामिल हैं। खराब आहार, निष्क्रिय जीवनशैली और मोटापा इसके प्रमुख कारण हैं।
"कॉल फिट" प्रोग्राम के तहत बिना चीर-फाड़ वाला फिकल इम्यूनो केमिकल टेस्ट (FIT) किया जाता है, जो मल में छिपे रक्त का पता लगाता है। 45 वर्ष से अधिक आयु के सामान्य जोखिम वाले व्यक्तियों को स्टूल टेस्ट और उच्च जोखिम वाले मरीजों को कोलोनोस्कोपी की सलाह दी जाती है। असामान्य परिणाम आने पर बायोप्सी की जाती है।
अपोलो कैंसर सेंटर के वरिष्ठ सर्जन डॉ. अमित वर्मा ने कहा कि भारत में कोलोरेक्टल कैंसर के अधिकतर मामले एडवांस स्टेज में पकड़ में आते हैं, जिससे इलाज मुश्किल और महंगा हो जाता है। उन्होंने जागरूकता और प्रोएक्टिव स्क्रीनिंग को बढ़ावा देने की जरूरत बताई।
अपोलो हॉस्पिटल, बिलासपुर के उदर रोग विशेषज्ञ डॉ. देवेंद्र सिंह और डॉ. सीतेंदू पटेल ने भी इस बीमारी के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई। उन्होंने बताया कि आधुनिक जीवनशैली और फाइबर रहित आहार इसके प्रमुख कारण हैं। शुरुआती पहचान से इलाज की लागत कम हो सकती है और मरीज लंबा, स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।
अपोलो कैंसर सेंटर्स के यूनिट सीईओ अर्नब एस. रहा ने कहा कि उनका उद्देश्य न केवल इलाज बल्कि रोकथाम और जागरूकता फैलाना है। अपोलो ग्रुप के 390 से अधिक कैंसर विशेषज्ञ देशभर में मरीजों का इलाज कर रहे हैं। बिलासपुर स्थित अपोलो कैंसर सेंटर में भी अत्याधुनिक रेडिएशन मशीन और सर्जिकल व मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध हैं, जिससे मरीजों को उन्नत उपचार मिल रहा है।
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