जब टीचर अपनी तनख्वाह मांगते हैं तो उन्हें डेमो क्लास का बहाना बनाकर रफादफा कर देती है। उसके बाद मानव संसाधन का हवाला भी देकर तुम्हे नौकरी पर नहीं रखा जा सकता ऐसा कहकर शिक्षित बेरोजगार युवतियों से धोखाधड़ी करती हैं। उनकी सैलरी भी नहीं देती हैं। आखिर यह पैसा जाता कहां है?
क्या यह शिक्षा के नाम पर गोरख धंधा चल रहा है या इस संस्थान को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। बता दें कि नर्सरी से दसवीं तक संचालित इसी स्कूल का नाम ड्रीम इंडिया था जो अब बदलकर क्यूरो स्कूल हो गया है। इस तरह से शिक्षा के नाम पर बेरोजगारों से धोखाधड़ीऔर अभिभावकों से अतिरिक्त शिक्षा शुल्क वसूली समझ से परे है। क्या कोई सिंडिकेट इसमें काम कर रहा है।
जिला शिक्षा अधिकारी , प्रशासन, शिक्षा मंत्री को इस ओर स्वतः संज्ञान लेकर कार्यवाही करने की आवश्यकता है तभी शिक्षा का मंदिर लूट के खजाने से बच पाएगा।
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