बिलासपुर 11 मार्च 2023। बिलासपुर से 30 किमी दूर खरंग नदी में बने बांध के टापू में वहां पर्यटन के नजरिये से बगीचे, ग्लास हाउस व रेस्टोरेंट का 10 मार्च को शिलान्यास किया गया है, यह शिलान्यास छत्तीसगढ़ राज्य के ग्रह मंत्री ताम्रध्वज साहू के द्वारा ही अन्य नेताओ के साथ मिलकर किया गया है।किसी कारण वश ग्रह मंत्री शिलान्यास ने नही पहुंच पाए जिसके बाद शिलान्यास के कार्यक्रम को पर्यटन मंडल के अध्यक्ष अटल श्रीवास्तव ने किया है।
आपको बता दे की इस टापू में हर वर्ष हजारो की संख्या में प्रवासी पक्षी आते है और अपनी वंशवृद्धि करते है। ऐसे में टापू पर इस प्रकार की योजना का प्रयोग करने से उन जलीय पक्षियो का प्राकृतिक आवास नष्ट हो जाएगा।
ये जलीय पक्षी इस टापू की नैसर्गिक सौंदर्यता है, इसे बचाने की जरूरत है न कि उजाड़ने की, यह योजना प्रवासी पक्षियो और भू-पर्यावरण को सीधे प्रभावित करने वाली योजना है,
पर्यटन विकास की योजना में हम सिर्फ मानव जाति पर ही क्यो विचार करते है बल्कि समस्त जीव-जंतुओं पर इन योजनाओं के प्रभाव पर विचार किया जाना चाहिए और मानव और जीव जंतु व सम्पूर्ण पर्यावरण को साथ लेकर सबको केंद्र में रखकर योजना बनाई जानी चाहिए।
विशेषज्ञों की सलाह से टापू पर आने वाले पक्षियों की वृद्धि और संरक्षण पर ध्यान देना चाहिए, न कि उन्हें बर्बाद करने पर।
पर्यटन विकास के लिए नैसर्गिक वातावरण की जगह ग्लास हाउस, रेस्टोरेंट क्यो?
आप पार्टी की पूर्व प्रवक्ता वा सामाजिक कार्यकर्ता प्रियंका शुक्ला ने कहा की जंगलो में कंक्रीट या अन्य आद्योगिक सामग्री से बन्द कर प्राकृतिक वातावरण पर ध्यान देना चाहिए। खूंटाघाट में बहुतायत में मगरमछ सहित अन्य जीव जंतुओं का आवास भी है, टापू में इस प्रकार के स्थायी निर्माण से उनपर भी असर पड़ेगा क्योंकि ये उन्ही टापुओं में विश्राम करते है।
इस टापू पर इस योजना का चौतरफा कड़ा विरोध हुआ है, पर्यावरण प्रेमियों ने मांग करते हुए कहा है की इसे तत्काल बन्द करना होगा व पुराने जर्जर पड़े रेस्ट हाउस व अन्य जगहों को डेवलपमेंट के नाम पुनः बनाया जाना चाहिए, न कि प्राकृतिक जगहो के साथ छेड़छाड़ कर विनाश इनका विनाश किया जाए।
छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल के अध्यक्ष अटल श्रीवास्तव द्वारा सोशल मीडिया में खूटाघाट आने वाले प्रवासी पक्षियों के बारे में कही बातों की सभी पर्यावरण प्रेमी निंदा कर रहे हैं। दरअसल पर्यटन मंडल के अध्यक्ष अटल श्रीवास्तव ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि प्रवासी पक्षी कहीं और अपना ठिकाना खोज लेंगे साथ ही उन्होंने लिखा है कि ये पक्षी पिछले साल यानी 2022 में रतनपुर नहीं आए थे।
उनके द्वारा पक्षियों के पिछले साल न आने की बात को पर्यावरण प्रेमियों ने झूठ करार दिया है और पिछले वर्ष की तस्वीरें भी सोशल मीडिया में शेयर की हैं।
0 Comments