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आबकारी विभाग के अधिकारी सो रहे गहरी नींद में?.., बार और चखना सेंटरों के संचालकों की मौज...,इधर गंगाजल हाथ में लेकर क्या सरकार नही करा पा रही पूर्ण शराबबंदी और उधर आबकारी खो चुकी है चखना सेंटरों से नियंत्रण?...

बिलासपुर 25 दिसंबर 2022।छत्तीसगढ़ में शराबबंदी को लेकर और अवैध चखना सेंटर खोले जाने का विरोध लगातार किया जा रहा है, पर हाथ में गंगाजल लेकर पूर्ण शराबबंदी का दावा करने वाली कांग्रेस पार्टी के नेता करीब 4 साल बीत जाने के बाद भी शराबबंदी नहीं कर पाए, उल्टा अवैध चखना सेंटर का संचालन धडल्ले से चल रहा है। हाल ही में रतनपुर में संचालित चखना सेंटरों के ऊपर बुल्डोजर चलाया गया है, पर क्या जिले के आबकारी विभाग के अधिकारियों को शहर में संचालित हो रहे चखना सेंटर नजर नहीं आ रहे है, ये एक बड़ा सवाल है। सूत्र बताते है की जिले में संचालित चखना सेंटर से आबकारी विभाग का महीना बंधा है, जहा से मोटी रकम पुलिस और आबकारी विभाग के अधिकारियों के जेब में जाति है।

क्या कर रहे आबकारी अधिकारी...

   शराब कोच्चिया और अवैध शराब की बिक्री करने वाले लोगों के हौसले भी अब सर चढ़कर बोल रहे हैं, आए दिन अवैध शराब का जखीरा पुलिस के हत्थे चढ़ रहा है, वैसे तो यह काम आबकारी विभाग का है, पर शायद आबकारी विभाग के नाकारा अधिकारियों से यह जिम्मेदारी नहीं उठाई जा रही है।आपको बता दें हाल ही में कोतवाली थाने में देशी,विदेशी शराब का जखीरा पकड़ाया था, पर बिलासपुर जिले के आबकारी अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगी, जिससे तो यही लगता है कि आबकारी विभाग के अधिकारी सिर्फ केबिन में बैठकर कुर्सी तोड़ने का काम कर रहे हैं, वही महुआ शराब बेचने वालों के ऊपर कार्रवाई करते हुए आबकारी विभाग के अधिकारी खानापूर्ति कर वाहवाही लूटने में भी पीछे नहीं हटते हैं। सूत्र बताते है की जिले में ऐसे कई बार है जहा देर रात तक शराब परोसी जाती है। वही नटराज बार समेत अन्य बार को तो मानो अभयदान मिल चुका है? 

क्या आबकारी विभाग ने दिया है चखना सेंटर चलाने का लाइसेंस?...

ग्रामीण इलाकों में  अवैध चखना सेंटर पर बुल्डोजर चला दिया गया, पर लगता है की शहरीय इलाकों में संचालित हो रहे चखना सेंटर वैद्य है? जिन्हे संचालन की अनुमति और लाइसेंस दे दिया गया है। सूत्रों की माने तो शायद इसी लिए जिले  में आबकारी की टीम चखना सेंटरों में कदम रखने से डरती है। इतना ही नहीं शराब भट्टी के अंदर ही शराब में खुलेआम पानी मिलाया जा रहा है। पर आबकारी अधिकारियों को कोई मतलब नहीं है,उन्हें तो बस वसूली के पैसों से मतलब है लगता है की बिलासपुर के आबकारी विभाग के अधिकारियों का घर सरकारी तनखा से नहीं चल रहा है। एक तरफ सरकार शराबबंदी नहीं कर पा रही है और दूसरी तरफ आबकारी विभाग नेता गिरी और वसूली के कारण चखना सेंटरों से दूरी बना रखी है।

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