बिलासपुर 02 अक्टूबर 2022। मुख्यालय से महज़ 30 मिनट की दूरी पर स्थित है 'बेलपान' गांव। मस्तूरी तहसील के अंतर्गत 'कोकड़ी' ग्राम पंचायत के आश्रित ग्राम 'बेलपान' में विगत दो हफ्तों से सैकड़ों ग्रामीण एक स्पंज आयरन फैक्ट्री के सामने आंदोलन पर बैठे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि इस फैक्ट्री ने न सिर्फ़ बेलपान बल्कि आसपास के लगभग 12 गांवों के हवा पानी को ज़हरीला और बर्बाद कर दिया है। उनका कहना है कि हालात बद से बदतर हो जाएं उससे पहले इस फैक्ट्री को बन्द कर देना चाहिए।
कालिंदी इस्पात प्राईवेट लिमिटेड के खिलाफ़ जुट रही जनता
कालिंदी इस्पात प्राईवेट लिमिटेड नाम की ये स्पंज आयरन फैक्ट्री बेलपान गांव में साल 2005-06 से संचालित है। ग्रामीणों ने बताया कि इन बीते 17 वर्षों में इस फैक्ट्री के कारण कई ग्रामीणों की जान जा चुकी है। फैक्ट्री के कर्मचारी कई घातक बीमारियों से ग्रसित हैं। जिनकी ज़मीनें कंपनी ने ली हैं उनमें से ज्यादातर को पर्याप्त मुआवजा नहीं दिया गया है। सरपंचों ने बताया कि कंपनी उद्योग नीति 2019-24 और खनिज अधिनियम 1957 का खुला उल्लंघन कर रही है। ज़हरीली गैस और डस्ट से पेड़ पौधे मरने लगे हैं। नींबू और केले के पौधे सड़ने लगे हैं। खेतों की उर्वरक शक्ति समाप्त हो गई है। प्रदूषण के कारण धान की फसल काली पड़ जाती है जिसके कारण उस धान को कोई नहीं खरीदता, सरकार भी नहीं। खेत बंजर होते जा रहे हैं। ज़हरीले कैमिकल की वजह से तलाब का पानी काला पड़ गया है ये कैमिकल रिसकर भूजल को और अन्य फसलों को ख़राब कर देते हैं। स्थानीय लोगों को रोज़गार भी नहीं के बराबर दिया गया है और क्षेत्र के युवाओं द्वारा कंपनी से रोज़गार मांगने पर उनके साथ दुर्व्यवहार कर उन्हें वापस भेज दिया जाता है।
अवैध खनन का भी लग रहा आरोप...
आंदोलनरत ग्रामीणों का कहना है कि कालिंदी इस्पात प्राईवेट लिमिटेड खतरनाक रूप से इलाके के भूजल का दोहन कर रहा है। हमें बताया गया कि फैक्ट्री लगने के समय गांव वालों से कहा गया था कि फैक्ट्री के इस्तेमाल के लिए नदी से पानी लाया जाएगा लेकिन आजतक भूजल का ही दोहन किया जा रहा है। ग्रामीणों की मानें तो इलाके का भूजल स्तर बीते वर्षों की तुलना में कई गुना नीचे चला गया है। गर्मियों में गांव के हैंडपम्प, तलाब, बोर, नाले सब सुख जाते हैं।
प्रदूषण से हो रही लोगों की मौत...
ग्रामीणों ने बताया कि कालिंदी इस्पात प्राईवेट लिमिटेड में प्रदूषण और ज़हरीली गैसों के उत्सर्जन को कम करने वाले अनिवार्य मानकों का भी पालन नहीं किया जा रहा है। पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने के लिए स्पंज आयरन फैक्ट्रियों को जिस मात्रा में पेड़ लगाने होते हैं कालिंदी इस्पात ने वो भी नहीं लगाए हैं। ग्रामीणों ने बताया कि इतने सालों में कंपनी ने कभी भी ठीक से पौधरोपण नहीं किया है। ग्रामीणों के विरोध के बाद अभी हाल ही में कुछ पौधे लगाए गए हैं। कुछ पेड़ तो कंपनी ने ऐसे लगाए हैं जो भूजल को उल्टे नुकसान ही पहुंचाते हैं। केवल मनुष्य ही नहीं अपितु मवेशियों, जीव जंतुओ, पक्षियों को भी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं होने लगी हैं। प्रदूषण के कारण कंपनी के ही कई कर्मचारियों की मृत्यु तक हो चुकी है लेकिन कंपनी हमेशा ही अपने दायित्वों से पल्ला झाड़ लेती है।
P.F. के पैसों का गबन...
ग्रामीणों ने बताया कि कंपनी अपने कर्मचारियों के वेतन से PF के नाम पर पैसा तो काट लेती है लेकिन वो पैसा कर्मचारियों को कभी वापस नहीं मिलता।
जनसुनवाई में विरोध के बावजूद हो रहा विस्तार
कंपनी विस्तार के सम्बंध में 27/04/2022 को बेलपान प्राथमिक शाला में जनसुनवाई रखी गई थी। ग्रामीणों का कहना है कि वहां उपस्थित लोगों में से ज्यादातर ने कंपनी के खिलाफ़ विरोध प्रकट किया था इस विरोध के बावजूद भी कंपनी ने मनमाने तरीके से कार्य प्रारंभ कर दिया है।
नेता अधिकारी आंखे मूंदे बैठे हैं...
राष्ट्रपति, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, उद्योगमंत्री, पंचायत एवम ग्रामीण विकास, कृषि एवम जल संसाधन मंत्री, सांसद, कलेक्टर बिलासपुर समेत समस्त संबंधित विभागीय अधिकारियों को प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों ने आवेदन देकर अपनी समस्याओं और मांगों से अवगत करवाया है लेकिन तमाम नेता और अधिकारी किसी तरह की कार्रवाई करने के मूड में नहीं दिख रहे हैं। भाजपा या कांग्रेस किसी भी पार्टी का कोई भी नेता इन ग्रामीणों के सपोर्ट में सामने नहीं आया है।
कोकड़ी, हरदी, जैतपुरी, भटचौरा, ठाकुरदेवा, बहतरा, मोहतरा, रहटाटोर एवम अन्य कई गांवों के सैकड़ों लोग कालिंदी इस्पात प्राईवेट लिमिटेड को बन्द करवाने की अपनी मांग को लेकर लामबंद हो रहे हैं।
नेताओं और प्रशासन की नीयत पर सवालिया निशान...
बेलपान और आसपास के गांवों में कालिंदी इस्पात प्राईवेट लिमिटेड की लापरवाही से पैदा हुई गंभीर पर्यावरणीय समस्याओं के बावजूद भी जनप्रतिनिधि और प्रशासन ने जिस तरह की चुप्पी ओढ़ रखी है उससे लोगों की जान तो खतरे में पड़ ही गई है साथ में नेताओं और प्रशासन की नीयत पर भी बड़ा सवालिया निशान लग गया है।
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