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तहसीलदार रमेश मोर और मंगला पटवारी किशनलाल धीवर की शह में.....हो रही है कोटवारी ज़मीन की ख़रीदी बिक्री....राजस्व विभाग का अजीबोगरीब कारनामा....,CM की फटकार के बाद भी नही जाग रहा प्रशासन....

बिलासपुर 02 मई 2022। मंगला बिलासपुर के हदय स्थल में बसा हुआ है। मंगला में कोटवारीन प्रमिला मनिकपूरी बेशक़ीमती सरकारी कोटवारी ज़मीन को एक नहीं बल्कि कई-कई लोगों से एग्रिमेंट इकरारनामा करके बिक्री कर रही है। अभी तक ज्ञात सूत्रों से ख़बर के अनुसार एक ज़मीन को वह सात से ज़्यादा अलग अलग लोगों को बेचने का इकरार कर चुकी है। और लोगों से पैसा भी उठा चुकी है। राजस्व रिकार्ड में केवल देखने के लिए दो एकड़ ज़मीन कोटवारिन के नाम पर चढ़ा हुआ है लेकिन एक भी ज़मीन में कोटवारिन का क़ब्ज़ा नहीं है। आपको बता दें कि मंगला में कोटवारींन ज़मीन जहां जहां पर स्थित है उसका बाज़ार मूल्य करोड़ों करोड़ों रुपए में है। लेकिन यहाँ पर सबसे बड़ी बात यह है कि बिना तहसीलदार और पटवारी के सरंक्षण के यह काम हो ही नहीं सकता। कोटवारिन का कहना है कि मेरा तहसीलदार औऱ पटवारी कुछ नहीं बिगाड़ सकते। क्योंकि उनके जानकारी में सब कुछ हैं। और यह बात सही भी लगती हैं क्योंकि मंगला के इतने बेशक़ीमती ज़मीन पर दीगर लोग क़ब्ज़ा करके बैठे है लेकिन आज तक पटवारी ने कोटवारी ज़मीन पर बेजाक़ब्ज़ा का एक भी रिपोर्ट नहीं दिया। उल्टे अपने कोटवारी भूमि की रजिस्ट्री हो जाए ।
इस उद्देश्य से पटवारी किशनलाल धीवर ने रिकार्ड को डिजिटल सिग्नेचर कर दिया। जबकि पूर्व पटवारी ने डिजिटल सिग्नेचर हटाकर बिक्री पर प्रतिबंध लिखा था। परंतु पटवारी किशनलाल धीवर ने मिलीभगत कर डिजिटल सिग्नेचर कर कोतवारिन को इस भूमि के रजिस्ट्री के लिए मौका दे दिया। तहसीलदार रमेश मोर ने अपने लगभग एक साल के कार्यकाल में कोटवारी ज़मीन पर कितने शिकायत आए कोई जाँच नहीं करवाया। कोई कार्रवाई आज तक नहीं किया। कोटवारिन को आज तक एक अदना सा नोटिस भी नहीं थमाया। जबकि तहसीलदार और पटवारी की जानकारी में सब है। लेकिन उनका निष्क्रिय या मौन रहना कहीं न कहीं मिली भगत का संदेह जन्म देता है। कोटवारिन के द्वारा किए गए सभी इकरारनामा की प्राप्ति की कोशिश हमारे द्वारा की जा रही है उसके बाद इस मामले में एक और बड़ा खुलासा होना बाक़ी है।इधर मुख्यमंत्री राजस्व विभाग में आम जनता के काम के लिए खुद राजस्व विभाग की समीक्षा बैठक ले रहें है और तहसीलदार रमेश मोर सैकड़ों नामांतरण को कूट रचना करके, दस्तावेज़ों में छेड़छाड़ करके सीधे भुइयाँ सोफ्टवेयर से विलोपित कर दे रहे हैं फिर भी मज़े से बिलासपुर तहसील में बैठकर मौज कर रहे है। इनकी जगह कोई और तहसीलदार होता तो अभी तक निलम्बित हो चुका होता या जेल की सलाख़ों में रहता। नामांतरण केस को बिना कारण विलोपित करना शासकीय दस्तावेज में छेड़छाड़ की श्रेणी में आपराधिक कृत्य की श्रेणी में हैं। लेकिन बिलासपुर तहसील में जो हो जाए कम ही कहा जाएगा। फ़िलहाल मंगला कोटवारिन और कितने बार तहसीलदार पटवारी की शह में ज़मीन को बिक्री करती है यह देखने का विषय है।हम आपको यह भी बता दे कि इन दिनों राजस्व विभाग भयंकर सुर्खियो में है जिसकी वजह से हर दिन कुछ न कुछ सुनने को जरूर मिलता है। यही वजह है कि बिलासपुर सबसे ज्यादा फेमस भी है और सीएम के अलावा राजस्व मंत्री भी फटकार लगाकर निराकरण करने की बात कह चुके है।

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