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थाना सिविल लाईन:लगता है थाने को TI साहब नही TI साहब के रीडर चलाते है तभी तो रीडर को चखना नहीं पहुँचाया तो आरक्षक को पेट्रोलिंग ड्यूटी से दिया हटा

बिलासपुर। बिलासपुर SP के रूप में पदभार ग्रहण करने के बाद एसपी दीपक झा ने ज़िले के पत्रकारों के साथ हुई सौजन्य मुलाकात में ये बात कही थी कि पुलिस की छवि बेहतर करने की दिशा में ज़रूरी कदम उठाए जाएंगे लेकिन शहर के कुछ थानेदारों की हरकतें बिलासपुर पुलिस की छवि को मटियामेट किए जा रही हैं। 

शहर के सिविल लाईन थाने में ऐसी ही एक शर्मनाक घटना फिर सामने आई है। सिविल लाईन थाने के टीआई हैं श्रीमान शनिप रात्रे महोदय और उनके रीडर हैं दिनेश कांत। टीआई साहब रीडर महोदय पर इतने महारबान हैं कि क्या ही कहिए। सूत्रों से मालूम चला है कि टीआई के चहेते रीडर दिनेश कांत थाने के पेट्रोलिंग स्टाफ से जबरन दारू और चखना मंगवाते हैं, जो स्टाफ इनकी ये अनैतिक डिमांड पूरी नहीं करता है उसे तुरंत ही पेट्रोलिंग की ड्यूटी से हटा दिया जाता है। 

सूत्रों ने ये बताया है कि थानेदार के चहेते लोगों का दुस्साहस इस हद तक बढ़ा हुआ है कि ये सिविल लाईन थाने के पास ही एक स्कूल के ग्राउंड में बैठकर शराबखोरी करते हैं और पेट्रोलिंग के स्टाफ को दारू और चखना पहुँचाने का ऑर्डर देते हैं। ज़ाहिर सी बात है कि इतना दुस्साहस टीआई साहब का संरक्षण मिले बिना तो नहीं आ सकता। 

टीआई साहब की दूसरी शर्मनाक हरकत भी जान लीजिए

आपको याद होगा कुछ समय पहले तखतपुर में 9 टन गांजा ज़ब्त किया गया था। उस कारवाई के बाद पेट्रोलिंग ड्यूटी में लगे एक आरक्षक की कॉल डीटेल निकलवाई गई तो मालूम चला कि आरक्षक ने गांजा डीलर से एक महीने में 30 से ज़्यादा बार फोन पर बात की थी। गांजा डीलर से सांठगांठ होने की आशंका के चलते उसे पेट्रोलिंग ड्यूटी से हटा दिया था। लेकिन... 
जैसे ही श्रीमान शनिप रात्रे महोदय ने सिविल लाईन के टीआई का पद सम्हाला उन्होंने तुरंत ही गांजा डीलर से सांठगांठ रखने की शंका में पेट्रोलिंग से हटाए गए इस आरक्षक को वापस पेट्रोलिंग की ड्यूटी में लगा दिया। 

ये बात भी गौर करने वाली है कि गांजा डीलर से सांठगांठ रखने की शंका में पेट्रोलिंग से हटाया गया ये आरक्षक पहले सरकंडा थाने में पदस्थ था और श्रीमान शनिप रात्रे महोदय भी पहले सरकंडा थाने के टीआई थे। 


थाने को टीआई चला रहे हैं या रीडर? 

टीआई साहब की इन अनैतिक हरकतों के दो मतलब निकाले जा सकते हैं पहला ये कि पेट्रोलिंग स्टाफ से दारू और चखना मंगवाने वाले रीडर पर वे उसके अनैतिक आचरण को जानते हुए भी महरबान हैं तो इसका मतलब थाने को रीडर साहब चला रहे हैं न कि टीआई साहब। तो रीडर को ही थाने का प्रभार क्यूँ न सौंप दिया जाए? 

और दूसरी बात ये कि टीआई साहब को रीडर के इस आचरण के  बारे में कुछ मालूम ही न हो। अगर टीआई साहब को कुछ मालूम ही नहीं है तब तो ये टीआई साहब के लिए और भी शर्म की बात है। 

टीआई साहब को हिस्सा मिलता है? 

गांजा डीलर से सांठगांठ रखने की शंका में पेट्रोलिंग से हटाए गए आरक्षक को फिर से पेट्रोलिंग ड्यूटी में लगा देने के टीआई साहब के निर्णय के भी दो मतलब हो सकते हैं पहला ये कि गांजे के अवैध कारोबार की मलाई शायद इनके पास भी पहुँचती होगी या दूसरा मतलब ये कि हो सकता है टीआई साहब को इस बारे में कुछ मालूम ही न हो। लेकिन अगर टीआई साहब को कुछ मालूम ही नहीं है तो ये स्थिति तो किसी भी टीआई के लिए बहुत शर्म की बात है। तो क्या ये मान लें कि सिविल लाईन थाना भगवान भरोसे चल रहा है? 

पुलिस की छवि को मटियामेट करने में पूरी तन्मयता से जुटे टीआई और उनके रीडर की ऐसी अनैतिक मनमानियां  एसपी दीपक झा की साफ़ सुथरी छवि को भी ख़राब कर रही हैं।

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