शहर के पॉश इलाकों से लेकर मुख्य सड़कों पर मंत्री, नेता व अफसर शान से अपनी hitech गाड़ियों में गुजर जाते हैं जिस में जर्क भी नहीं लगता। पर क्या इन लोगों ने दुर्घटना में प्राण खोने वालों या घायल होने वालों से जानने की कोशिश की कि दुर्घटना हुई कैसे ?
मुख्य व गलियों की सड़क के किनारे व बीच में होने वाली अमृत मिशन की खुदाई के बाद जिन गढ्ढों को भरा जाता है उसके ऊपर डामर व कॉन्क्रीट की लेप चढ़ाई जाती है उसकी ऊंचाई सदैव मुख्य सड़क की ऊंचाई से ज्यादा आसानी से दिख जाती है।पैमाने की जरूररत नहीं कोई भी छोटा बच्चा बात देगा।बने
यही हाल शहर के मुख्य मार्गों का है। इसी ऊंची नीची सड़कों के किनारों पर जब बाइक या स्कूटी का पहिया पड़ता है तो गाड़ी नियंत्रण से बाहर होती है
वास्तव में दुर्घनकरित वाहन के साथ-साथ इन सड़क निर्माताओं व इनको टेंडर देने वाले मोटी तनख्वाह पाने वाले लालफिशाहों और अधिकारियों के विरुद्ध भी अपराध दर्ज होने चाहिए। ताकि आम जनता इनकी गाड़ियों के नीचे दबकर जान ना गवां दे। सड़क पर बने ये बेतरतीब गढ़े व कटावदार सड़कों का समतलीकरण अतिअस्वश्यक है अथवा दुर्घटनाएं होती रहेंगी, हम अखबार में अपनी फोटो देखकर खुश होंगे। पीड़ित रोयेंगे। कब बनहि हमर बिलासपुर स्मार्ट सिटी ? शहर के साहब से सवाल ?
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