विश्लेषण
भारत देश ने विश्व के सभी देशों को पीछे छोड़ते हुए इस महामारी का मुकाबला बखूबी किया है। यहां मृत्यु दर अन्य अतिप्रभावित देशों की तुलना में अत्यंत कम है।
केंद्र व राज्य स्तर पर नित नए फैसले लिए गए। समाज सेवी संस्थानों, डॉक्टरो, स्वास्थ्यकर्मियों, स्वयं सेवकों, जनता और पुलिस ने अपनी जान की परवाह नहीं की। राज्य व देश के सभी फैसलों का स्वागत करते हुए नागरिकों की जान बचाने में सरकार की हरसंभव मदद कर रहे हैं। वहीं कुछ रसूखदार व लालफीताधारी अधिकारी शासन की पूरी व्यववस्था को चौपट करने में लगे है।
भारत के सभी नागरिकों ने कोरोना संक्रमण की चैन को रोकने के लिए लॉक डाउन का पूर्ण रूप से पालन करने जाति, धर्म, सम्प्रदाय एवं संस्कृति से हटकर भारत देश में एकता, सौहार्द्र मानवीयता की वो मिशाल दी है जिसकी हमने कभी कल्पना नहीं की थी।
इसी दौरान कुछ सफेदपोश व लालफीताधारी साहबों ने भी अपने अपने स्तर पर कमाल दिखाया। इसी तालाबंदी में इनकी तो चांदी हो गयी। पद का लाभ उठाकर खूब कमाया। जहां देश विकट समस्या से जूझ रहा है वही चंद जमाखोरों ने तालाबंदी का जमकर लाभ उठाया। दो रुपये की चीज दस में बेची। विडंबना है कि रक्षकों ने ही इनसे सौदा कर आम लोगों को छला है।
अवैतनिक रूप से स्वैक्षिक सेवा देने वाले इक्छुक वालेंटियर्स छात्र - छात्राओं को सीट फुल होने की बात कहकर एस पी ओ की भर्ती से अब दरकिनार किया जा रहा है। कहीं सेटिंग का खेल तो नहीं ??
समसामयिक विचार
1 Comments
शायद सेटिंग का ही खेल हो.... जिले के कप्तान का rude बेहवीओइर मुनासिब नहीं।।।।😕
ReplyDelete