बिलासपुर। बिल्हा जनपद पंचायत में बीआरजीएफ योजना में हुए 31 लाख रुपए के घोटाले पर पर्दा डालने की कोशिश शुरू, जनपद सीईओ ने जिले के प्रमुख अधिकारियों को लिखा खत।
बिल्हा सीईओ ने खुद को अभ्रष्ट बताते हुए कलेक्टर और एसपी के नाम एक पत्र लिख दिया है। घोटाले की शिकायत करने वाले जनपद उपाध्यक्ष पर ही गंभीर आरोप लगाए हैं। शिकायत के सामने आने के बाद पंचायत महकमे में चर्चा छिड़ गई है कि अपनी कुर्सी बचाने के लिए जनपद सीईओ ने नया खेल शुरू कर दिया है। केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित बीआरजीएफ योजना कुछ साल पहले बंद हो चुकी है। जनपद पंचायत बिल्हा में इस योजना के तहत लगभग 52 लाख रुपए की राशि जमा थी। बीआरजीएफ योजना का प्रभार लिपिक साहू देख रहे थे। बीते दिनों जनपद सीईओ बीआर वर्मा ने उक्त लिपिक को बीआरजीएफ योजना का प्रभार लिपिक शांडिल्य को देने कहा। प्रभार देने से पहले जब लिपिक साहू ने योजना का आय-व्यय एकत्र किया तो पता चला कि जनवरी 2020 से अप्रैल 2020 तक उनकी जानकारी के बगैर 31 लाख रुपए निकल गए हैं।
छानबीन करने पर लिपिक साहू को पता चला कि जिस लिपिक शांडिल्य को योजना का प्रभार देने के लिए कहा जा रहा है, उसने ही 31 लाख रुपए निकालने के लिए फाइल चलाई थी, जिसके चेक पर बिल्हा विकासखंड के मुख्य कार्यपालन अधिकारी वर्मा ने हस्ताक्षर किए हैं। 31 लाख रुपए का घोटाला सामने आने पर जनपद उपाध्यक्ष विक्रम सिंह ने पूरे मामले की शिकायत जिला पंचायत सीईओ रितेश अग्रवाल से की है। इसे गंभीरता से लेते हुए जिला पंचायत के सीईओ रितेश अग्रवाल ने जांच टीम गठित कर दी है। टीम के सदस्यों से 15 दिनों के भीतर जांच रिपोर्ट मांगी गई है। इधर, जांच चल रही है।
ज्ञातव्य हो कि इस पूरे मामले में योजना का प्रभार लिपिक साहू के पास था। बैंक से जारी चेकबुक और खाता भी लिपिक के ही कब्जे में थे। प्रथमदृष्टया छानबीन में यह पता चला है कि बैंक से जिस चेक 31 लाख रुपए निकाले गए हैं, वह अलग से निकले गए चेक हैं। यानी कि इस चेक को बाद में निकलवाया गया है।
प्रथम दृष्टया ही जान पड़ता है कि सीईओ के हस्ताक्षर के बिना तो बैंक से चेक जारी होगा नहीं। एक लिपिक इतनी हिम्मत भी नहीं कर सकता कि इतनी अधिकतम राशि का चेक जारी करवा ले वह भी सीईओ की जानकारी व हस्ताक्षर के बिना ।
जब बीआरजीएफ योजना का प्रभार लिपिक साहू के पास था तो लिपिक शांडिल्य द्वारा चलाई गई नोटशीट पर बीआरजीएफ योजना का चेक सीईओ ने कैसे काटा। इन बातों पर गौर करने के बाद यह तो साफ हो गया है कि साजिश के तहत बीआरजीएफ योजना के 31 लाख रुपए निकाले गए हैं। इसमें से करीब 11 लाख रुपए सपना कंप्यूटर के नाम पर जारी किए गए हैं और शेष राशि पंचायतों को उन निर्माण कार्यों के लिए जारी कए गए हैं, जो सांसद, विधायक और समग्र विकास मद से स्वीकृत हुए थे और जिसकी राशि पहले ही ग्राम पंचायतों को जारी हो गई थी।
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