बिलासपुर, 07 अगस्त 2025।छत्तीसगढ़ के पुलिस महानिदेशक अरुण देव गौतम ने आज बिलासपुर जिले में कानून-व्यवस्था की स्थिति, अपराध नियंत्रण और पुलिसिंग की गुणवत्ता को लेकर एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक ली। बैठक में पुलिसिंग के विभिन्न आयामों—जैसे सामुदायिक जुड़ाव, टेक्नोलॉजी आधारित जांच प्रणाली, बीट सिस्टम की मजबूती—पर गहन चर्चा की गई।
SSP रजनेश सिंह ने पेश किया जिले का रिपोर्ट कार्ड
बैठक में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह (IPS) ने जिले में अपराध नियंत्रण, गिरफ्तारी और डिटेक्शन दर, विजिबल पुलिसिंग और सामुदायिक पुलिसिंग कार्यक्रम ‘चेतना अभियान’ की प्रगति पर प्रजेंटेशन दिया।
DGP ने दिए अहम निर्देश — पुलिसिंग में हो नवाचार और जवाबदेही...
DGP गौतम ने पुलिसिंग को और अधिक प्रभावी व जनोन्मुखी बनाने के लिए निम्न दिशा-निर्देश जारी किए:
‘चेतना अभियान’ को सभी थानों में सक्रिय रूप से लागू करने और संस्थागत स्वरूप देने के निर्देश।
फिंगरप्रिंट तकनीक (NAFIS) के उपयोग को बढ़ावा देने व पुलिस कर्मियों को प्रशिक्षण दिलाने पर जोर।
बीट सिस्टम को और अधिक प्रभावशाली बनाने और स्थानीय सूचना संकलन को मजबूत करने के निर्देश,
सीसीटीएनएस, ई-साक्ष्य, ई-समन जैसे डिजिटल संसाधनों का विवेचना में अधिकतम उपयोग करने की हिदायत दी है।
पुलिसकर्मियों के कल्याण से जुड़े मामलों में शासन और मुख्यालय के निर्देशों का समय पर पालन सुनिश्चित करने को कहा गया है।डीजीपी ने सकरी बटालियन, रेडियो कार्यालय, हाई कोर्ट और एयरपोर्ट सुरक्षा, विशेष आसूचना शाखा, अभियोजन कार्यालय, रेंज एमटी शाखा सहित सभी प्रमुख इकाइयों की कार्य प्रणाली की समीक्षा की और उनके सामने मौजूद चुनौतियों व समाधान की दिशा में कार्ययोजना की जानकारी ली है।
डीजीपी अरूण देव गौतम ने सभी राजपत्रित अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे अपने अधीन थानों में घटित हर गंभीर अपराध पर तुरंत घटना स्थल पहुंचें, पीड़ित की प्राथमिक सुनवाई सुनिश्चित करें और शीघ्र कार्रवाई करें। उन्होंने लंबित प्रकरणों की नियमित मॉनिटरिंग, समान वारंटों की समीक्षा, और पुराने मामलों के त्वरित निराकरण पर विशेष ध्यान देने को कहा है।
DGP ने अधिकारियों से कहा कि वे कानून का सख्ती से पालन करते हुए जनसेवा की भावना से कार्य करें, ताकि पुलिस की एक सकारात्मक, विश्वसनीय और जिम्मेदार छवि समाज में स्थापित हो सके।यह बैठक न केवल बिलासपुर जिले में पुलिस व्यवस्था को सुदृढ़ करने की दिशा में अहम मानी जा रही है, बल्कि यह सामुदायिक सहयोग, तकनीकी दक्षता और जवाबदेही जैसे मूलभूत स्तंभों पर आधारित एक प्रभावशाली मॉडल की ओर संकेत करती है।
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