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“व्यंग्य के मूल में करुणा थी परसाई की दृष्टि” – बिलासपुर में परसाई स्मृति गोष्ठी का आयोजन...,प्रलेस और प्रेस क्लब के संयुक्त तत्वावधान में वैचारिक व काव्य गोष्ठी, साहित्यकारों व कवियों ने दी श्रद्धांजलि...


बिलासपुर 23 अगस्त 2025।बिलासपुर प्रगतिशील लेखक संघ (प्रलेस) की स्थानीय इकाई एवं प्रेस क्लब बिलासपुर के संयुक्त तत्वावधान में ख्यातिलब्ध साहित्यकार और हिंदी व्यंग्य के पुरोधा हरिशंकर परसाई की स्मृति में एक वैचारिक व साहित्यिक गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य परसाई की रचनाओं के सामाजिक, साहित्यिक और वैचारिक पक्षों पर विमर्श करना और नई पीढ़ी को उनके लेखन से जोड़ना रहा है।

गोष्ठी के प्रारंभ में प्रलेस इकाई के अध्यक्ष हबीब खान ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए कहा कि हरिशंकर परसाई ने साहित्य और पत्रकारिता दोनों को ही समाज की सच्चाई उजागर करने का माध्यम बनाया। उनका मानना था कि लेखन का उद्देश्य केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि व्यवस्था से सवाल करना और आमजन की आवाज़ को बल देना होना चाहिए।

पत्रकार राजेश अग्रवाल ने कहा कि परसाई को पढ़ते हुए ही कई लोगों ने लिखने की प्रेरणा पाई। वहीं प्रेस क्लब अध्यक्ष इरशाद अली ने कहा कि ऐसे आयोजन विचारों को जीवित रखने और सीखने की प्रेरणा देते हैं।प्रलेस प्रांतीय अध्यक्ष नथमल शर्मा ने कहा कि परसाई ने अपना पूरा जीवन सामाजिक बेहतरी के लिए समर्पित किया। उनके व्यंग्य किसी व्यक्ति पर नहीं, बल्कि व्यवस्था पर केंद्रित थे। उनका मानना था कि सच्चा व्यंग्य तभी सार्थक होता है जब उसके मूल में करुणा और मानवीय संवेदना हो।
मुख्य वक्ता डॉ. मुरली मनोहर सिंह ने परसाई की रचनाओं का विस्तार से उल्लेख किया और कहा कि यदि परसाई आज जीवित होते तो वे वर्तमान समय की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक विसंगतियों को पूरी ताक़त के साथ अपने लेखन में उजागर करते। उन्होंने कहा कि परसाई ने हमेशा आम आदमी की भलाई और समाज की सहभागिता पर ज़ोर दिया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए शिक्षाविद डॉ. एम.के. मिश्रा ने कहा कि परसाई का लेखन बहुस्तरीय है और उसमें भाषिक विश्लेषण की गहराई है। सामाजिक समस्याओं के वैज्ञानिक समाधान और आलोचनात्मक विवेक उनकी रचनाओं की विशेषता है। मिश्रा ने कहा कि आज साहित्य और विज्ञान के अंतर्संबंधों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।कार्यक्रम के दूसरे चरण में काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ। इसमें अशोक शिरोड़े, संगीता तिवारी, अलका राठौर, रईसा बानो, निहारिका तिवारी, आकृति सिंह, नथमल शर्मा, रफीक खान और देवेंद्र गोस्वामी ने अपनी कविताओं से गहन वातावरण निर्मित किया। कवि गोष्ठी का संचालन रफीक खान ने किया जबकि प्रस्तुत कविताओं पर टिप्पणी डॉ. सत्यभामा अवस्थी ने दी।

कार्यक्रम में बड़ी संख्या में साहित्यकार, पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए। इनमें प्रमुख रूप से नरेश अग्रवाल, मुस्ताक मकवाना, डॉ. प्रदीप राही, देवेंद्र यादव, अतुल कुमार, संतोष श्रीवास्तव, पूजा रानी पात्र, वंदना, गोकर्ण गौरव, विशाल झा, अखलाक खान, रवि शुक्ला, जेपी अग्रवाल, लोकेश वाघमारे, भारतेंदु कौशिक, इंद्रसेन अग्रवाल, संतोष सोनी, हिराजी राव सदाफले, दिव्यांश साहू, धर्मेंद्र निर्मलकर, संतोष मिश्रा, नीरज शुक्ला, मोहम्मद इसराइल, जियाउल्लाह खान, संजीव सिंह, श्याम बिहारी बनाफर, संजय चंदेल, रमन दुबे, सतीश नारायण मिश्रा, नरेंद्र सिंह, अजय कुमार यादव आदि शामिल रहे।कार्यक्रम का संचालन प्रलेस सचिव अशोक शिरोड़े ने किया और अंत में प्रेस क्लब सचिव दिलीप यादव ने आभार प्रकट किया।

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