बिलासपुर 25 अक्टूबर 2024।बिलासपुर वन विभाग द्वारा संचालित संजीवनी केंद्र पर वनोपज से निर्मित औषधियों का विक्रय किया जा रहा है, जिसमें से कई दवाएं अपनी एक्सपायरी तिथि पार कर चुकी हैं। फिर भी इन्हें बेचे जाने का मामला सामने आया है, जिससे उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। हाल ही में एक ग्राहक ने इस गंभीर लापरवाही का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर साझा किया, जिससे मामले ने तूल पकड़ लिया। वीडियो में स्पष्ट रूप से दिख रहा है कि संजीवनी विक्रय केंद्र में एक्सपायर हो चुकी दवाएं धड़ल्ले से बेची जा रही हैं। इस वीडियो के वायरल होने के बाद से वन विभाग के इस मामले में संलिप्त अधिकारियों पर सवाल उठ रहे हैं, लेकिन अब तक इस ओर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
ग्राहक की सूझबूझ से सामने आया मामला
इस गंभीर लापरवाही का खुलासा तब हुआ जब एक ग्राहक ने संजीवनी केंद्र से खरीदी गई दवाओं की जांच की। उसने देखा कि कई दवाओं पर अंकित तारीखें बीते कई महीनों से एक्सपायर हो चुकी थीं। उसने तुरंत इसकी सूचना केंद्र के कर्मचारियों को दी, लेकिन वहां के कर्मचारियों ने इसे अनदेखा किया। इससे आहत होकर ग्राहक ने इसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया। वीडियो में एक्सपायरी दवाएं खुलेआम विक्रय करते हुए दिख रही हैं, जिससे स्पष्ट होता है कि इस मामले में किसी की भी ओर से कोई सतर्कता नहीं बरती जा रही है। वीडियो वायरल होते ही शहर भर में हलचल मच गई, और लोग वन विभाग की इस लापरवाही पर रोष व्यक्त कर रहे हैं।
सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने से हड़कंप
वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर कई तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। नागरिकों ने वन विभाग के प्रति अपनी नाराजगी जताई है। एक ओर जहां लोग इसे स्वास्थ्य से खिलवाड़ मान रहे हैं, वहीं दूसरी ओर यह सवाल भी उठाए जा रहे हैं कि आखिर ऐसी गंभीर चूक कैसे हुई। कुछ लोगों ने वन विभाग पर कठोर कार्रवाई की मांग की है ताकि भविष्य में इस प्रकार की लापरवाही न हो। वीडियो वायरल होने के बाद विभागीय अधिकारियों पर सवाल खड़े हो गए हैं कि आखिर क्यों इतनी संवेदनशीलता वाले मामले में लापरवाही बरती जा रही है।
वन विभाग के अधिकारियों की चुप्पी पर सवाल
मामला सामने आने के बाद भी वन विभाग के आला अधिकारी मौन साधे हुए हैं। उनका कहना है कि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं थी और जल्द ही इस पर उचित कार्रवाई की जाएगी। हालाँकि, अधिकारियों की इस प्रतिक्रिया ने और अधिक सवाल खड़े कर दिए हैं। लोगों का मानना है कि यदि अधिकारियों ने समय पर निरीक्षण किया होता, तो इस प्रकार की स्थिति उत्पन्न नहीं होती। इसके अलावा, यह सवाल भी उठता है कि वन विभाग का विक्रय केंद्र होने के बावजूद दवाओं की एक्सपायरी तिथि पर ध्यान क्यों नहीं दिया गया।
जानकारों की राय
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि एक्सपायर हो चुकी दवाओं का सेवन स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। इन दवाओं से लाभ मिलने के बजाय नुकसान होने का खतरा रहता है। इसके सेवन से शरीर में प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकते हैं और कभी-कभी जान का जोखिम भी हो सकता है। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि वन विभाग की ओर से संचालित केंद्रों पर बेची जाने वाली हर दवा का नियमित निरीक्षण किया जाना चाहिए ताकि लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
लोगों की सुरक्षा के लिए उठाए जाने चाहिए कड़े कदम
इस घटना ने संजीवनी केंद्रों की गुणवत्ता और प्रशासनिक लापरवाही पर सवाल खड़े कर दिए हैं। लोग मांग कर रहे हैं कि इन केंद्रों में बेची जाने वाली हर दवा की जांच करवाई जाए और एक्सपायर हो चुकी दवाओं को तुरंत हटा दिया जाए। इसके अलावा, कर्मचारियों और अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए ताकि भविष्य में इस प्रकार की लापरवाही दोबारा न हो। स्थानीय प्रशासन को भी इस मामले में हस्तक्षेप करने की जरूरत है ताकि जनसुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
वन विभाग का जवाबदेही तय करने की आवश्यकता
वर्तमान स्थिति में लोगों का भरोसा संजीवनी केंद्रों से उठता जा रहा है। वन विभाग के इस विक्रय केंद्र की जिम्मेदारी उन्हीं अधिकारियों पर है, जिनकी निगरानी में यह संचालित होता है। आवश्यक है कि विभाग इस मामले की गहराई से जांच करे और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे। जनता के स्वास्थ्य के साथ इस प्रकार का खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जा सकता और यदि इसमें समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए तो इसका असर विभाग की छवि पर भी पड़ेगा।
इस पूरे मामले ने यह सवाल खड़ा किया है कि आखिर वन विभाग के विक्रय केंद्रों में दवाओं के रखरखाव और निरीक्षण के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं। इस घटना के बाद अब यह देखना होगा कि विभाग इस दिशा में कितनी जल्दी और कितनी गंभीरता से कार्रवाई करता है।
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