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डॉ अम्बेडकर राष्ट्रीय अधिवक्ता संघ भारत का कार्यशाला बिलासपुर सम्पन्न अधिवक्ताओं, के अधिकारों सहित,महत्वपूर्ण मुद्दों पर हुई चर्चा

बिलासपुर से नीरज शुक्ला की रिपोर्ट।
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बिलासपुर। बिलासपुर में डॉ अम्बेडकर राष्ट्रीय अधिवक्ता संघ भारत का एकदिवसीय कार्यशाला सम्पन्न हुआ। कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए संघ के राष्ट्रीय संयोजक अधिवक्ता बृजमोहन सिंह ने कहा कि देश मे वर्तमान में समय मे अधिवक्ताओं को जागरूक एवं संगठित करने की आवश्यकता है। वर्तमान में देश मे न्यायपालिका की महत्वपूर्ण भूमिका है न्यापालिका एवं आमजनता के बीच सेतु का कार्य अधिवक्ताओं के द्वारा किया जाता है। आज केंद्र एवं राज्य सरकारों के विभिन्न निर्णयों एवं बिलों को लेकर समाज मे अनेक प्रकार से वैचारिक मदभेद हैं जिसे आम नागरिक एवं विभिन्न संगठन अधिवक्ताओं के माध्यम से हाईकोर्ट एवं सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष याचिका के माध्यम से ध्यानाकर्षण एवं सांशोधन की मांग करते है। आज देश के 1.5 अरब लोगों को कानूनी प्रकिया के माध्यम से न्याय दिलाने की महत्वपुर्ण जिम्मेदारी अधिवक्ताओं पर है।


चेक बाउंस एवं एनडीपीएस प्रकरणों पर निर्दोषों के बचाव के लिए सीबीआई के पूर्व जज प्रभाकर ग्वाल के द्वारा उपस्थित अधिवक्ताओं का मार्गदर्शन किया गया। श्री ग्वाल ने यह भी बताया कि वास्तविक तर्क एवं तथ्यों को माननीय न्यायालय के समक्ष सही तरीके से प्रस्तुत न कर पाने के कारण अनेक बार निर्दोष व्यक्तियों को चेक बाउंस एवं एनडीपीएस प्रकरणों में सजा का सामना करना पड़ जाता है। किस तरीके से प्रकरणों की पैरवी करने से बेहतर तरीके से केश को हैंडल किया जा सकता है यह जानकारी दी गई।


श्री सिंह ने डॉ अम्बेडकर राष्ट्रीय अधिवक्ता संघ भारत के माध्यम से देश भर में एकजुटता अभियान चलाते हुए अधिवक्ता साथियों के हित मे कार्य करने की बात कही। उन्होंने बताया कि वर्तमान में सभी विभागों एवं अधिवक्ता पैनल में ओबीसी/ एसटी/एससी/माइनॉरिटी को जनसंख्या अनुपात अनुसार प्रतिनिधित्व दिए जाने की मांग उठाई। उच्च एवं उच्चतम न्याय पालिका में एसटी/एससी/ओबीसी /माइनॉरिटी को जनसंख्या अनुसार प्रतिनिधित्व का मुद्दा उठाया। 60 वर्ष की आयु पूरी करने एवं 35 वर्ष की वकालत पूरी करने वाले अधिवक्ता साथियों को पेंशन की व्यवस्था का मुद्दा उठाया।  शुरुआत में 5 वर्ष तक वकालत करने वाले एवं 30 वर्ष के आयु तक के नए  अधिवक्ताओं को 5 हजार रुपये मानदेय की व्यवस्था का मुद्दा उठाया। विभिन्न न्यायालय परिसर में टिन टप्पड़ के नीचे बैठक वकालत करने वाले अधिकवक्ताओ के लिए स्थायी बैठक व्यवस्था किये जाने की मांग उठाया तक अधिवक्ता बन्धुओ सहित न्यायालय की गरिमा आहत न हो। सभी अधिवक्ताओं को 5 लाख रु तक कि चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराए जाने का मुद्दा भी उठाया। मुख्य अतिथि ने बताया कि आजाद भारत देश के प्रथम प्रधानमंत्री भी बैरिस्टर थे। प्रथम कानून मंत्री भी बैरिस्टर थे। अमेरिका के प्रथम राष्ट्रपति भी बैरिस्टर थे। देश के बापू महात्मा गांधी भी बैरिस्टर थे। नेलशन मंडेला भी बैरिस्टर थी। किंतु आज भी देश मे  अधिकतर बैरिस्टर(अधिवक्ता) साथियों की है
 
हालत बद्तर है। मुख्य अतिथि ने बताया कि आजाद भारत देश के प्रथम प्रधानमंत्री भी बैरिस्टर थे। प्रथम कानून मंत्री भी बैरिस्टर थे। अमेरिका के प्रथम राष्ट्रपति भी बैरिस्टर थे। देश के बापू महात्मा गांधी भी बैरिस्टर थे। नेलशन मंडेला भी बैरिस्टर थी। किंतु आज भी देश मे  अधिकतर बैरिस्टर(अधिवक्ता) साथियों की आर्थिक हालत खराब है। कोरोना महामारी के दौरान लाखों अधिवक्ताओं के परिवार पर अत्यधिक संकट आया किंतु न तो राज्य सरकारों ने कोई मदद की न केंद्र सरकारों ने न ही राज्य अथवा नेशनल बार ने ही कोई मदद किया।
श्री बृजमोहन सिंह का स्पष्ट व तर्क संगत रूप से मानना है कि, जब तक अधिवक्ता बन्धु देश व समाज की समस्याओं का समाधान नही करेंगे, किसी की हालत नही बदलेगी । 

छत्तीसगढ़ में अगली बैठक 8 मई 2021 को हो सकती हैं ।  

इसलिए हम पूरे देश मे दौरा करके अधिवक्ता साथियों को उनके कर्तव्यों एवं अधिकारों के ये जगरूक करने का प्रयास कर रहे हैं आज के इस कार्यशाला में छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों से सैकड़ों की संख्या में अधिवक्ता बन्धु एवं विधि के छात्र उपस्थित रहे।

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