बिलासपुर 15 दिसम्बर 2025।बिलासपुर पुलिस विभाग में इन दिनों एक ऐसे पुलिस कर्मी महोदय की खूब चर्चा है, जो दिखाई कम देते हैं लेकिन काम ऐसा कर जाते हैं कि लोग पूछ बैठते हैं“भाई, हुआ कैसे?”महोदय का अंदाज़ बिल्कुल वैसा ही है जैसे ऊँट के मुँह में जीरा ना ज़्यादा दिखावा, ना ज़्यादा मेहनत, फिर भी हर काम अपने आप सुलझा हुआ।कहते हैं कि ये पुलिस कर्मी महोदय पर्दे के पीछे रहकर खेल खेलने में माहिर हैं। सामने कभी नहीं आते, लेकिन डोर उन्हीं के हाथ में रहती है। दिलचस्प बात यह है कि महोदय का दामन हमेशा “साफ़,पाक” बना रहता है, चाहे मैदान में कितनी ही धूल क्यों न उड़ रही हो।सूत्र बताते हैं कि इनकी पहुंच ऊपर तक है इतनी ऊपर कि नाम लेने से भी लोग पहले इधर,उधर देख लेते हैं। लेकिन इस ऊँचाई का इस्तेमाल आम जनता या व्यवस्था सुधार के लिए नहीं, बल्कि अपने ही लोगों पर रौब झाड़ने के लिए ज़्यादा होता दिखता है।मतलब साफ़ है,नियम भी अपने,दबाव भी अपना,और फैसला भी अपना,मजे की बात यह है कि महोदय ने अपने संबंध ऐसे सधे हुए बना रखे हैं कि,न उच्च अधिकारियों की नज़र पड़ती है,न ही चौथे स्तंभ की कैमरा लेंस घूमती है।ना खबर बनती है,ना कार्रवाई होती है, और ना ही सवाल उठते हैं।स्थानीय जानकारों का कहना है कि यह पूरा खेल अपनों के बीच राजनीति का है,जहाँ बाहर से सब ठीक-ठाक दिखता है, लेकिन अंदर ही अंदर गोटियाँ बिछाई जा चुकी हैं।
यानी “बाहर शांति, अंदर चालें।”अब सवाल यह नहीं है कि महोदय क्या कर रहे हैं,सवाल यह है कि आगे क्या होगा?क्या इस पुलिस कर्मी महोदय को पुलिस विभाग का मुख्य अभयदान मिलेगा?या फिर कभी ऊपर से नज़र नीचे आएगी फिलहाल तो इतना तय है कि यह कहानी अभी शुरुआती अध्याय में है,और आगे के पन्नों में क्या लिखा जाएगा,यह वक्त, व्यवस्था और शायद किसी साहसी नज़र पर निर्भर करता है।
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