बिलासपुर 27 अक्टूबर 2025।बिलासपुर अपराध चाहे कितना भी पुराना और पेचीदा क्यों न हो, अगर पुलिस के पास मजबूत सूचना तंत्र और समर्पित जांबाज आरक्षक हों, तो न्याय देर से जरूर मिलता है, लेकिन मिलता जरूर है। इसका ताजा उदाहरण तोरवा थाना पुलिस ने पेश किया है। दो साल पहले हुए एक ब्लाइंड मर्डर केस को सुलझाकर न केवल अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचाया गया, बल्कि मृतक के परिजनों को भी इंसाफ मिला।यह मामला वर्ष 2023 का है, जब हेमूनगर निवासी विनोद महंत का शव तोरवा थाना क्षेत्र के रेलवे ट्रैक के पास संदिग्ध हालत में मिला था। शव पर चोटों के गहरे निशान और हाथ-पांव में रस्सी बंधी होने के कारण मामला हत्या का लग रहा था। लेकिन शुरुआती जांच के बाद कोई ठोस सुराग नहीं मिल सका और यह केस “अंधे कत्ल” की श्रेणी में चला गया है।
समय बीतने के साथ मामला ठंडे बस्ते में चला गया था, लेकिन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह ने जब थाना निरीक्षण के दौरान पुराने मर्ग मामलों की समीक्षा की, तो इस केस को दोबारा खोलने के निर्देश दिए। सीएसपी गगन कुमार के नेतृत्व और विवेचना टीम की मेहनत से मामले की तह तक पहुंचने की कोशिशें तेज हुईं। इसी दौरान थाना तोरवा में पदस्थ एक होनहार आरक्षक ने अपने गुप्त सूचना तंत्र के माध्यम से ऐसे अहम इनपुट जुटाए, जिनसे जांच की दिशा ही बदल गई।
आरक्षक की जुटाई गई जानकारी के आधार पर पुलिस ने लालखदान निवासी कृष्णा पाल (24 वर्ष) और मनोज पाल उर्फ धन्ना (21 वर्ष) को हिरासत में लिया। पूछताछ में दोनों ने अपना अपराध कबूल करते हुए बताया कि मृतक के उनकी मां राजकुमारी पासी से अवैध संबंधों के संदेह में उन्होंने मिलकर हत्या की योजना बनाई थी। उन्होंने पहले विनोद महंत की लोहे की रॉड से पिटाई की, फिर बेहोश समझकर उसे रेलवे ट्रैक पर फेंक दिया। जब मृतक में हलचल दिखी, तो उसके सिर पर पत्थर से वार कर उसकी हत्या कर दी गई।
पुलिस ने आरोपियों के कबूलनामे के बाद हत्या में प्रयुक्त लोहे की रॉड बरामद की और दोनों को न्यायिक रिमांड पर भेज दिया।इस सफलता में जिस आरक्षक ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, उसकी सतर्कता, गोपनीय नेटवर्क और समर्पण की पुलिस अधिकारियों ने खुलकर सराहना की है। तोरवा पुलिस की इस कामयाबी ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि जब टीम में जांबाज और ईमानदार सिपाही हों, तो कोई भी “ब्लाइंड मर्डर” हमेशा के लिए अंधेरे में नहीं रह सकता।
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