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थाने में "भाषा संस्कार" क्लास,आरक्षक ने दिखाई अश्लील शब्दावली की ‘पुलिसिया डिक्शनरी’, वीडियो वायरल...,,“वर्दी में शब्दों का तांडव, जब आरक्षक बन गया अश्लीलता का प्रवक्ता”...



बिलासपुर 27 अक्टूबर 2025।बिलासपुर सिविल लाइन थाना इन दिनों ‘संवेदनशील पुलिसिंग’ नहीं, बल्कि ‘संवेदनाहीन शब्दावली’ के लिए सुर्खियों में है। एक आरक्षक का वीडियो वायरल हो गया है, जिसमें वह एक नागरिक को ऐसी भाषा में समझाते दिख रहा है, जिसे सुनकर लोग बोले,“वाह वर्दी में शब्दों का ऐसा प्रयोग तो किसी डिक्शनरी में भी नहीं मिलेगा”थाने में हुई यह ‘भाषाई मारपीट’ किसी एक गुस्से का नतीजा नहीं, बल्कि उस पुलिसिया रौब का नमूना है, जो अक्सर कैमरों के बंद होने पर दिखता है। फर्क बस इतना है कि इस बार कैमरा चालू था, और ‘वर्दी का संस्कार’ सोशल मीडिया पर उजागर हो गया है।सूत्रों का कहना है कि मामला मामूली वाहन रोकने का था,एक आदमी अपनी सफाई देता रहा, पर आरक्षक का मूड कुछ और था, थाने की दीवारों के बीच गूँजने लगी वो गालियाँ, जिन्हें सुनकर खुद शब्दकोश भी शर्मा जाए।अब सवाल यह है कि क्या बिलासपुर पुलिस ने ‘अभद्रता प्रशिक्षण’ को नया अनिवार्य पाठ्यक्रम बना दिया है? या फिर यह किसी ‘थाना थिएटर ग्रुप’ की रिहर्सल थी, जिसमें डायलॉग कुछ ज्यादा ही रियलिस्टिक निकल आए।वीडियो वायरल होने के बाद आम नागरिकों में नाराज़गी है, लोग कह रहे हैं, “थाने में FIR लिखी जाती है या फिर शब्दों की फायरिंग होती है?” वहीं, विभागीय स्तर पर जाँच के आदेश जैसी पारंपरिक पंक्ति फिर से दोहराई गई है “मामले की जांच कब की जाएगी।”थाने के बाहर खड़े एक व्यक्ति ने बोला, “हम सोचते थे पुलिस कानून की भाषा बोलती है, पर अब लग रहा है, गाली भी सरकारी भाषा बन गई है???

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