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पत्रकार और उनके पिता पर जानलेवा हमला: आरोपियों पर गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई, प्रेस क्लब ने उठाई सख्त कदमों की मांग...

बिलासपुर शहर में पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। दैनिक अखबार में कार्यरत फोटो जर्नलिस्ट पत्रकार शेखर गुप्ता और उनके पिता पर 23 और 24 मई की दरमियानी रात कुछ शराबी और नशेड़ी तत्वों ने जानलेवा हमला कर दिया। इस हमले ने पत्रकारिता जगत को झकझोर कर रख दिया है और इसे लेकर प्रेस क्लब ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

घटना के बाद पत्रकारों में भारी आक्रोश देखा गया। शनिवार दोपहर बिलासपुर प्रेस क्लब में आपात बैठक बुलाई गई, जिसमें बड़ी संख्या में पत्रकारों ने भाग लिया। बैठक में शेखर गुप्ता और उनके पिता पर हुए हमले की कड़ी निंदा की गई और सभी ने एक स्वर में अपराधियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की मांग की। बैठक के दौरान पत्रकारों ने प्रेस क्लब को कई सुझाव भी दिए, ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

इसके बाद प्रेस क्लब अध्यक्ष ने इरशाद अली के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह से मुलाकात की, प्रतिनिधिमंडल में उपाध्यक्ष संजीव पांडेय, सचिव दिलीप यादव, तथा अखलाक खान, सुनील शर्मा, रामप्रताप सिंह, लोकेश वाघमारे, पंकज गुप्ते, जितेंद्र थवाइत, गुड्डा सदाफले सहित अन्य पत्रकार शामिल थे। प्रेस क्लब ने पुलिस अधीक्षक को मांग पत्र और सुझाव पत्र सौंपा, जिसमें हमलावरों के खिलाफ गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई, पत्रकारों को सुरक्षा, और पुलिस-पत्रकार समन्वय को लेकर कई अहम बिंदु शामिल थे।

पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह ने आश्वासन दिया कि जिन आरोपियों पर पहले से आपराधिक रिकॉर्ड है, उनके खिलाफ गुंडा एक्ट की कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, पत्रकारों को आपात स्थिति में त्वरित सहायता उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सभी थानों में क्षेत्रवार पत्रकारों का बायोडाटा, मोबाइल नंबर व पता दर्ज करने का निर्णय लिया गया है।

व्हाट्सएप ग्रुप का सुझाव भी प्रेस क्लब की ओर से दिया गया, जिसमें संबंधित थाना क्षेत्र के पुलिस अधिकारी और पत्रकार शामिल होंगे, ताकि किसी भी आपात स्थिति में त्वरित संवाद स्थापित हो सके। पुलिस अधीक्षक ने क्लब से पत्रकारों की सूची मांगी है ताकि इस योजना को शीघ्र अमल में लाया जा सके।

प्रेस क्लब ने इस बात के लिए भी पुलिस प्रशासन का आभार जताया कि शेखर गुप्ता पर हुए हमले के मामले में पुलिस ने त्वरित कार्रवाई की है। साथ ही क्लब ने यह भी मांग की है कि पुलिस के कार्य में अनावश्यक दखल देने वाले कथित पत्रकारों की पहचान की जाए और ऐसे व्यक्तियों को तवज्जो न दी जाए। क्लब ने स्पष्ट किया है कि ऐसे लोग पत्रकारिता की गरिमा को ठेस पहुंचा रहे हैं और इनकी जानकारी प्रेस क्लब अथवा संबंधित संस्था को दी जाए ताकि उचित कदम उठाए जा सकें।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने पत्रकारों को भरोसा दिलाया कि पत्रकारों की सुरक्षा सर्वोपरि है और किसी भी असामाजिक तत्व को बख्शा नहीं जाएगा। पुलिस अपराधियों के खिलाफ त्वरित, निष्पक्ष और प्रभावी कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है।

यह घटना न केवल पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता का विषय है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि समाज में मीडिया की भूमिका को कमजोर करने की कोशिशें हो रही हैं। ऐसे में प्रशासन, मीडिया संस्थानों और समाज को मिलकर एक मजबूत और सुरक्षित वातावरण बनाना होगा जिसमें पत्रकार बिना डर के अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर सके।

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