बिलासपुर 15 सितंबर 2025।बिलासपुर शहर का तारबाहर थाना इन दिनों पुलिसिंग की नई परिभाषा गढ़ रहा है। यहां कानून व्यवस्था का असली मतलब अब जनता समझ चुकी है – नशे का धंधा करने वालों को खुला लाइसेंस और पान ठेला चलाने वालों पर पुलिसिया दहाड़।
कहते हैं कि थाना प्रभारी साहब का इलाका अवैध शराब के अड्डों से भरा पड़ा है। गली-गली में शराब वैसे ही बिक रही है जैसे बरसात में भुट्टा। छोटे-बड़े मोहल्लों में नशे के सौदागर धड़ल्ले से कारोबार कर रहे हैं। मगर मजाल है कि थाना प्रभारी साहब की बहादुरी उन तक पहुँच जाए। शराब माफियाओं के सामने उनकी बहादुरी ऐसे गायब हो जाती है जैसे गर्मी में बर्फ।
लेकिन जैसे ही कोई पान वाला बीड़ी-सिगरेट या गुटखा बेचते पकड़ा जाता है, साहब की सिंहगर्जना गूंज उठती है। दबिश, जब्ती, फोटोशूट और फिर सोशल मीडिया पर तैनात जनसंपर्क विभाग सब सक्रिय हो जाते हैं। आखिरकार जनता भी समझ रही है कि थाना प्रभारी की नजर में सबसे बड़ा अपराध अब पान ठेला लगाना ही है।
स्थानीय लोग चुटकी लेते हैं
*"थानेदार साहब की पुलिसिंग तीन हिस्सों में बंटी है
1. पान वालों पर कार्रवाई।
2. शराब माफियाओं को नमस्ते।
3. बाकी समय कागज़ी खानापूर्ति।"
कहा जा रहा है कि थाना क्षेत्र में शराब इतनी खुलेआम बिक रही है कि लोग मजाक में इसे "ड्राई डे थाना" नहीं बल्कि "शराब एक्सप्रेस थाना" कहने लगे हैं। मगर साहब के कानों में ये बातें जाती ही नहीं। उनकी पूरी ताकत बस पान ठेलों को हटाने में खप रही है।
दरअसल, बड़ी मछलियों से भिड़ना आसान नहीं होता। इसके लिए हिम्मत, मेहनत और सच्ची नीयत चाहिए। मगर छोटे-छोटे दुकानदारों को पकड़कर कार्रवाई दिखाना सबसे आसान है,फोटो भी खिंच जाती है, कार्रवाई भी दिख जाती है और मेहनत भी नहीं करनी पड़ती।
लोग कहते हैं "शेर वही है जो जंगल के असली शिकार पर झपटे, पिंजरे में बैठे कबूतर पर नहीं।" लेकिन तारबाहर थाने का शेर तो पान ठेलों पर ही दहाड़ मारता है और शराब माफियाओं के सामने बकरी बन जाता है।
1 Comments
मै इसकी कड़ी निंदा करता हूँ 😆
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